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12वी के बाद कौन-कौन सी जॉब कर सकते हैं? |12th ke baad job's की जानकारी in hindi 2022 By वनिता कासनियां पंजाब जब भी कोई व्यक्ति 12th पास होता है,तब उन में से कुछ के मन में एक ही सवाल आता है की  12th के बाद कौन - कौन सी नौकरी मिल सकती हैं?  hello friends मेरा नाम अनुराग है और आज हम आपको हमारे इस आर्टिकल में  12th के बाद कौन - कौन सी नौकरी मिल सकती हैं?  के बारे पूरी जानकारी दूंगा। आज कल बहुत सारे विद्यार्थी 12th पास करने के बाद ही नौकरी की तलाश में रहते है। वह आगे और पढ़ाई ना करके एक job लेकर settle हो जाना चाहते है। ऐसे विद्यार्थी जो जल्दी नौकरी  करना चाहते है, वे 12th पूरी होने के पहले से ही जॉब की तरह देखने लगते है। ऐसे  में उन सभी विद्यार्थीयो को इस बात की सारी जानकारी होनी चाहिए की वह  12th के बाद कौन कौन सी जॉब कर सकते है। और उनके लिए  12th ke baad career option  क्या है? आपको हम प्राइवेट और सरकारी दोनो की नौकरियों के बारे में बताऊं। बहुत बार विद्यार्थियो के लिए बहुत ज्यादा ना पढ़ कर जल्दी नौकरी करने का फैसला ही सही रहता है। हम इस आर्टिकल...

स्वास्थ्य घरेलू नुस्खेबवासीर के मस्से का इलाज picsबवासीर का घरेलू उपचार Home Remedies For PilesBy वनिता कासनियां पंजाब,bavasir ka gharelu upchar,piles ka upchar, piles ka gharelu upchar,बवासीर ,बवासीर का घरेलू उपचार,piles ka ayurvedic upchar, bavasir ke masse sukhane ki medicine, bavasir ke masse par lagane ki medicine, bavasir mein parhej, bavasir mein kya khayenबवासीर के मस्से मलद्वार/anus के भीतरी सतह या बाहरी सतह पर हो जाते हैं। भीतरी बवासीर के मस्से दिखाई नहीं देते हैं। जबकि मलद्वार के बाहरी सतह पर बवासीर के मस्से दिखाई देते हैं। मल त्यागते वक्त इन मस्सों से जब खून निकलने की शिकायत होती है। तो उसे खुनी बवासीर कहते हैं। गुदा के बाहर निकले मस्से मोटे, खुजली करने वाले और पीड़ादायक होते हैं एवं रोगी ज्यादा देर तक बैठना मुस्किल हो जाता है।बवासीर के बाहरी मस्से को ठीक करने में आयुर्वेदिक जड़ी –बूटियां बहुत कारगर सिद्ध होती हैं। या यूँ कहे कि इस रोग का इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से करवाना चाहिए। बवासीर रोग लम्बे समय तक कब्ज की शिकायत बने रहने से हो जाती है। कब्ज के कारण मॉल त्यागते वक्त ज्यादा जोर लगाने की प्रक्रिया में गुदा एवं इसके आसपास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है। जिसके कारण इनमें सूजन आ जाती है। जो मस्से के रूप में विकसित हो जाती है।आयुर्वेदिक फिजिशियन और वेद पंचकर्मा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर “डॉक्टर संतोष कुमार गुप्ता“ के अनुसार बवासीर रोग से राहत पाने के लिए दवा के साथ हीं खान –पान का में परहेज बरतना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त औषधि के सेवन या मस्से पर लेप लगाने से भी मस्से को ठीक किया जा सकता है। आइये जाने डॉक्टर द्वारा बताई गयी बवासीर की अचूक औषधि के प्रयोग की जानकारी।बवासीर के मस्से सुखाने की औषधिअर्शकुठार रस/ Arshkuthar Ras – दिन में दो बार 2 टेबलेट सुबह और 2 टेबलेट रात के भोजन के बाद सेवन करना है।अभयारिष्ट /Abhayarishtam सिरप – दिन में दो बार सुबह और रात के भोजन के बाद 30 ml सिरप + 30ml पानी के साथ मिलाकर सेवन करना है।मस्से पर लगाने की औषधिस्नुही क्षीरहरिद्राअपामार्ग क्षारप्रयोग विधि –दस बूँद स्नुही क्षीर में एक चुटकी हरिद्रा और अपामार्ग अपामार्ग क्षार मिलाकर लेप तैयार कर लें। अब इस लेप को बवासीर के मस्से पर लगाने से मस्सा सुख कर गिर जाता है।ये दोनों औषधि बवासीर के मस्से को सुखाने में कारगर हैं।इसके अतिरिक्त आक /मदार के दूध को बवासीर के बाहरी मस्से पर लगाने से बवासीर का मस्सा सूख कर गिर जाता है।बवासीर में खाद्य पदार्थों से परहेजमांसाहार खाद्य पदार्थ, लाल मिर्च एवं मसालेदार गरिष्ट भोजन, प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन नहीं करना चाहिए।चाय , कॉफ़ी की जगह पर ग्रीन टी ले सकते है।उड़द की दाल , खटाई, रात का बचा हुआ खाना।आलू, बैंगन, अरवी, भिन्डी।शराब, तम्बाकू।बवासीर रोगियों को क्या भोजन में शामिल करना चाहिएकरेले का रस , मूली का रस एक दिन में 50 ग्राम से ज्यादा नहीं सेवन करना चाहिए।सब्जियों में पालक , गाजर, मूली, चुकुन्दर, जिमीकंद, टमाटर भोजन में शामिल करना चाहिए।फलों में कच्चा नारियल, केला,अनार, अमरुद, पपीता, आँवला, सुखा अंजीर।कुछ सूखे अंजीर को पानी में भीगा कर रात भर के लिए रख देना है। इसके बाद सुबह खाली पेट पानी से अंजीर निकाल कर खूब चबा –चबा कर खाना है। इसके बाद बचे हुए पानी को पी लेना है। इससे पेट में कब्ज नहीं होती है और कब्ज की शिकायत होने पर मल आसानी से बाहर निकलन जाती है। जिससे मस्से पर दबाव नहीं पड़ता है।बवासीर रोग की दवा से सम्बंधित डॉक्टर से सलाह प्राप्त करने के लिए लिंक पर क्लिक करिए।अन्य लेख पढ़िए :बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम से

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🌷 *निर्जला एकादशी* 🌷➡️ *10 जून 2022 शुक्रवार को सुबह 07:26 से 11 जून शनिवार को प्रातः 05:45 तक एकादशी है ।*💥 *विशेष - 11 जून, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।* 👉🏻 *(10 जून, शुक्रवार निर्जला-भीम एकादशी (स्मार्त) 11 जून, शनिवार को निर्जला-भीम एकादशी (भागवत)*

🌷 *निर्जला एकादशी* 🌷 ➡️ *10 जून 2022 शुक्रवार को सुबह 07:26 से 11 जून शनिवार को प्रातः 05:45 तक एकादशी है ।* 💥 *विशेष - 11 जून, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*   👉🏻 *(10 जून, शुक्रवार निर्जला-भीम एकादशी (स्मार्त) 11 जून, शनिवार को निर्जला-भीम एकादशी (भागवत)*

नृसिंह जयंती सभी भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएँ जय जय लक्ष्मी नारायण हरे.........#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम की #अध्यक्ष #श्रीमती #वनिता_कासनियां #पंजाब #संगरिया #राजस्थान🙏🙏❤️नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। भगवान श्रीनृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने 'नृसिंह अवतार' लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अवतार लिए तथा धर्म की स्थापना की।कथा :-नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के इस अवतरण की कथा इस प्रकार है-प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे, उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम 'हरिण्याक्ष' तथा दूसरे का 'हिरण्यकशिपु ' था।हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह रूप धरकर मार दिया था। अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प किया। सहस्त्रों वर्षों तक उसने कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। वरदान प्राप्त करके उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। लोकपालों को मारकर भगा दिया और स्वत: सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया। देवता निरूपाय हो गए थे। वह असुर हिरण्यकशिपु को किसी प्रकार से पराजित नहीं कर सकते थे।भक्त प्रह्लाद का जन्म :-अहंकार से युक्त हिरण्यकशिपु प्रजा पर अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकशिपु कि पत्नीकयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम 'प्रह्लाद ' रखा गया। एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रह्लाद में राक्षसों जैसे कोई भी दुर्गुण मौजूद नहीं थे तथा वह भगवान नारायण का भक्त था। वह अपने पिता हिरण्यकशिपु के अत्याचारों का विरोध करता था।हिरण्यकशिपु का वध :-भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए। नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया, किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ। तब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए षड्यंत्र रचे, किंतु वह सभी में असफल रहा। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था। अपने सभी प्रयासों में असफल होने पर क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को अपनी बहनहोलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परंतु जब प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई, किंतु प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया। उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु की पूजा करने लगी थी। तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता- "तेरा भगवान कहाँ है?" इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि "प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं।" क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि "क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है?" प्रह्लाद ने हाँ में उत्तर दिया। यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया। तभी खंभे को चीरकर श्रीनृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया। श्रीनृसिंह ने प्रह्लाद कीभक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। अत: इस कारण से इस दिन को "नृसिंह जयंती-उत्सव" के रूप में मनाया जाता है।नृसिंह भगवान के चर्म को बना लिया भोले ने अपना आसन :-इसके अलावा एक अन्य वजह भी है, जिसके लिए भगवान विष्णु ने ये रूप धरा। बताया जाता है कि हिरण्यकशिपु का वध करने के बाद भगवान नृसिंह का क्रोध शांत ही नहीं हो रहा था। वे पृथ्वी को नष्ट कर देना चाहते हैं। इस बात से परेशान सभी देवता भोलेनाथ की शरण में गए। भोलेनाथ ने नरसिंह भगवान का गुस्सा शांत करने के लिए अपने अंश से उत्पन्न वीरभद्र को भेजा। वीरभ्रद ने काफी कोशिश की, लेकिन जब भगवान नृसिंह नहीं माने तो उन्होंने वीरभद्र गरूड़, सिंह और मनुष्य का मिश्रित शरभ रूप धारण किया।शरभ ने नृसिंह को अपने पंजे से उठा लिया और चोंच से वार करने लगा। शरभ के वार से आहत होकर नृसिंह ने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया और शिव से निवेदन किया कि इनके चर्म को शिव अपने आसन के रूप में स्वीकार करें। इसके बाद शिव ने इनके चर्म को अपना आसन बना लिया। इसलिए शिव वाघ के खाल पर विराजते हैं। इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है, उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की भी प्राप्ति करता है। भगवान नृसिंह की पूजा के लिए फल, फूल और पंचमेवा का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान नृसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नृसिंह गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।व्रत विधि :-नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास एवं पूजा-अर्चना कि जाती है। इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए तथा भगवान नृसिंह की विधी विधान के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए, तत्पश्चात् वेद मंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। भगवान नृसिंह की पूजा के लिए फल , पुष्प , पंचमेवा, कुमकुम, केसर, नारियल , अक्षत व पीताम्बर रखना चाहिए। गंगाजल , काले तिल, पंच गव्य व हवन सामग्री का पूजन में उपयोग करें। भगवान नृसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नृसिंह गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के पश्चात् एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से नृसिंह भगवान के मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल , स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है। भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।#Vnita🙏🙏❤️मंत्र :-नृसिंह #जयंती के दिन निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए-1. ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥2. ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।इन #मंत्रों का #जाप करने से समस्त #दुखों का निवारण होता है तथा #भगवान #नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है।❤️ राधे राधे ❤️

नृसिंह जयंती सभी भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएँ  जय जय लक्ष्मी नारायण हरे......... #बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम की #अध्यक्ष #श्रीमती #वनिता_कासनियां #पंजाब #संगरिया #राजस्थान🙏🙏❤️ नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। भगवान श्रीनृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने 'नृसिंह अवतार' लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अवतार लिए तथा धर्म की स्थापना की। कथा :- नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के इस अवतरण की कथा इस प्रकार है- प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे, उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम 'हरिण्याक्ष' तथा दूसरे का 'हिरण्यकशिपु ' था। हिरण्याक्ष...

सलाद मांस से 10 गुना शक्तिशाली भोज्य पदार्थ है?वनिता कासनियां पंजाब द्वारा मांस से 10 गुना शक्तिशाली कौन सा भोज्य पदार्थ है?आज के समय में अधिकांश व्यक्ति उन खाद्य का सेवन करते हैं जिनमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। इस कारण वे तरह-तरह की परेशानियों का सामना करते है। शारीरिक कमजोरी की समस्या आम हैं। थोड़ा सा काम करने के बाद ही लोग थकावट महसूस करते है। लोग शरीर को ताकतवर बनाने के लिए मांस, मछली, अंडा खाने पर जोर देते हैं। लेकिन शाकाहारी लोग इन चीजों का सेवन नहीं कर सकते। ऐसे में उनके लिए ऐसे खाद्य की आवश्यकता महसूस की जाती है जो मांसाहार के विकल्प के रूप में उन्हें मिले।शाकाहारी हो या मांसाहारी, अगर इस खाद्य का सेवन करें तो उनका शरीर ताकतवर और मजबूत बन जाएगा। और यह कीमत के मामले में मांसाहारी व्यंजनों से काफी किफायती भी है।मूंग की दाल यासबूत मूंग में मांस से भी दस गुना अधिक प्रोटीन पाया जाता है। कोई इसका लगातार इसका सेवन करे तो यह उनके शरीर ताकतवर और मजबूत बना देता है। रोज इसका सेवन नहीं कर सकते तो भी सप्ताह में एक या दो बार मूंग की दाल का सेवन जरूर करना चाहिए। मूंग की दाल में प्रोटीन के अलावा कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।शाकाहारी लोगों के लिए मूंग की दाल एक तरह से मांस का काम करता है। मूंग की दाल का सेवन कई तरह से किया जा सकता है। साधारण तौर पर मूंग की दाल बनाया जा सकता है। सबूत मूंग को भीगा कर उसके अंकुरण होने पर उसके सलाद बना कर खाया जा सकता है। प्याज, टमाटर, खीरा और नींबू के रस के साथ यह स्वादिष्ट लगता है।वैकल्पिक तौर पर इसे उबल कर भी खाया जा सकता है। बस इसे कम उबलना बेहतर होता है वरना यह पूरी तरह गल जाता है।अनेक धन्यवाद !!!

मांस से 10 गुना शक्तिशाली भोज्य पदार्थ है? मांस से 10 गुना शक्तिशाली कौन सा भोज्य पदार्थ है? आज के समय में अधिकांश व्यक्ति उन खाद्य का सेवन करते हैं जिनमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। इस कारण वे तरह-तरह की परेशानियों का सामना करते है। शारीरिक कमजोरी की समस्या आम हैं। थोड़ा सा काम करने के बाद ही लोग थकावट महसूस करते है। लोग शरीर को ताकतवर बनाने के लिए मांस, मछली, अंडा खाने पर जोर देते हैं। लेकिन शाकाहारी लोग इन चीजों का सेवन नहीं कर सकते। ऐसे में उनके लिए ऐसे खाद्य की आवश्यकता महसूस की जाती है जो मांसाहार के विकल्प के रूप में उन्हें मिले। शाकाहारी हो या मांसाहारी, अगर इस खाद्य का सेवन करें तो उनका शरीर ताकतवर और मजबूत बन जाएगा। और यह कीमत के मामले में मांसाहारी व्यंजनों से काफी किफायती भी है। मूंग की दाल यासबूत मूंग में मांस से भी दस गुना अधिक प्रोटीन पाया जाता है। कोई इसका लगातार इसका सेवन करे तो यह उनके शरीर ताकतवर और मजबूत बना देता है। रोज इसका सेवन नहीं कर सकते तो भी सप्ताह में एक या दो बार मूंग की दाल का सेवन जरूर करना चाहिए। मूंग की दाल में प्रोटीन के अलावा कई त...