स्वास्थ्य घरेलू नुस्खेबवासीर के मस्से का इलाज picsबवासीर का घरेलू उपचार Home Remedies For PilesBy वनिता कासनियां पंजाब,bavasir ka gharelu upchar,piles ka upchar, piles ka gharelu upchar,बवासीर ,बवासीर का घरेलू उपचार,piles ka ayurvedic upchar, bavasir ke masse sukhane ki medicine, bavasir ke masse par lagane ki medicine, bavasir mein parhej, bavasir mein kya khayenबवासीर के मस्से मलद्वार/anus के भीतरी सतह या बाहरी सतह पर हो जाते हैं। भीतरी बवासीर के मस्से दिखाई नहीं देते हैं। जबकि मलद्वार के बाहरी सतह पर बवासीर के मस्से दिखाई देते हैं। मल त्यागते वक्त इन मस्सों से जब खून निकलने की शिकायत होती है। तो उसे खुनी बवासीर कहते हैं। गुदा के बाहर निकले मस्से मोटे, खुजली करने वाले और पीड़ादायक होते हैं एवं रोगी ज्यादा देर तक बैठना मुस्किल हो जाता है।बवासीर के बाहरी मस्से को ठीक करने में आयुर्वेदिक जड़ी –बूटियां बहुत कारगर सिद्ध होती हैं। या यूँ कहे कि इस रोग का इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से करवाना चाहिए। बवासीर रोग लम्बे समय तक कब्ज की शिकायत बने रहने से हो जाती है। कब्ज के कारण मॉल त्यागते वक्त ज्यादा जोर लगाने की प्रक्रिया में गुदा एवं इसके आसपास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है। जिसके कारण इनमें सूजन आ जाती है। जो मस्से के रूप में विकसित हो जाती है।आयुर्वेदिक फिजिशियन और वेद पंचकर्मा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर “डॉक्टर संतोष कुमार गुप्ता“ के अनुसार बवासीर रोग से राहत पाने के लिए दवा के साथ हीं खान –पान का में परहेज बरतना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त औषधि के सेवन या मस्से पर लेप लगाने से भी मस्से को ठीक किया जा सकता है। आइये जाने डॉक्टर द्वारा बताई गयी बवासीर की अचूक औषधि के प्रयोग की जानकारी।बवासीर के मस्से सुखाने की औषधिअर्शकुठार रस/ Arshkuthar Ras – दिन में दो बार 2 टेबलेट सुबह और 2 टेबलेट रात के भोजन के बाद सेवन करना है।अभयारिष्ट /Abhayarishtam सिरप – दिन में दो बार सुबह और रात के भोजन के बाद 30 ml सिरप + 30ml पानी के साथ मिलाकर सेवन करना है।मस्से पर लगाने की औषधिस्नुही क्षीरहरिद्राअपामार्ग क्षारप्रयोग विधि –दस बूँद स्नुही क्षीर में एक चुटकी हरिद्रा और अपामार्ग अपामार्ग क्षार मिलाकर लेप तैयार कर लें। अब इस लेप को बवासीर के मस्से पर लगाने से मस्सा सुख कर गिर जाता है।ये दोनों औषधि बवासीर के मस्से को सुखाने में कारगर हैं।इसके अतिरिक्त आक /मदार के दूध को बवासीर के बाहरी मस्से पर लगाने से बवासीर का मस्सा सूख कर गिर जाता है।बवासीर में खाद्य पदार्थों से परहेजमांसाहार खाद्य पदार्थ, लाल मिर्च एवं मसालेदार गरिष्ट भोजन, प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन नहीं करना चाहिए।चाय , कॉफ़ी की जगह पर ग्रीन टी ले सकते है।उड़द की दाल , खटाई, रात का बचा हुआ खाना।आलू, बैंगन, अरवी, भिन्डी।शराब, तम्बाकू।बवासीर रोगियों को क्या भोजन में शामिल करना चाहिएकरेले का रस , मूली का रस एक दिन में 50 ग्राम से ज्यादा नहीं सेवन करना चाहिए।सब्जियों में पालक , गाजर, मूली, चुकुन्दर, जिमीकंद, टमाटर भोजन में शामिल करना चाहिए।फलों में कच्चा नारियल, केला,अनार, अमरुद, पपीता, आँवला, सुखा अंजीर।कुछ सूखे अंजीर को पानी में भीगा कर रात भर के लिए रख देना है। इसके बाद सुबह खाली पेट पानी से अंजीर निकाल कर खूब चबा –चबा कर खाना है। इसके बाद बचे हुए पानी को पी लेना है। इससे पेट में कब्ज नहीं होती है और कब्ज की शिकायत होने पर मल आसानी से बाहर निकलन जाती है। जिससे मस्से पर दबाव नहीं पड़ता है।बवासीर रोग की दवा से सम्बंधित डॉक्टर से सलाह प्राप्त करने के लिए लिंक पर क्लिक करिए।अन्य लेख पढ़िए :बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम से
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बवासीर के मस्से मलद्वार/anus के भीतरी सतह या बाहरी सतह पर हो जाते हैं। भीतरी बवासीर के मस्से दिखाई नहीं देते हैं। जबकि मलद्वार के बाहरी सतह पर बवासीर के मस्से दिखाई देते हैं। मल त्यागते वक्त इन मस्सों से जब खून निकलने की शिकायत होती है। तो उसे खुनी बवासीर कहते हैं। गुदा के बाहर निकले मस्से मोटे, खुजली करने वाले और पीड़ादायक होते हैं एवं रोगी ज्यादा देर तक बैठना मुस्किल हो जाता है।
बवासीर के बाहरी मस्से को ठीक करने में आयुर्वेदिक जड़ी –बूटियां बहुत कारगर सिद्ध होती हैं। या यूँ कहे कि इस रोग का इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से करवाना चाहिए। बवासीर रोग लम्बे समय तक कब्ज की शिकायत बने रहने से हो जाती है। कब्ज के कारण मॉल त्यागते वक्त ज्यादा जोर लगाने की प्रक्रिया में गुदा एवं इसके आसपास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है। जिसके कारण इनमें सूजन आ जाती है। जो मस्से के रूप में विकसित हो जाती है।
आयुर्वेदिक फिजिशियन और वेद पंचकर्मा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर “डॉक्टर संतोष कुमार गुप्ता“ के अनुसार बवासीर रोग से राहत पाने के लिए दवा के साथ हीं खान –पान का में परहेज बरतना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त औषधि के सेवन या मस्से पर लेप लगाने से भी मस्से को ठीक किया जा सकता है। आइये जाने डॉक्टर द्वारा बताई गयी बवासीर की अचूक औषधि के प्रयोग की जानकारी।
बवासीर के मस्से सुखाने की औषधि
- अर्शकुठार रस/ Arshkuthar Ras – दिन में दो बार 2 टेबलेट सुबह और 2 टेबलेट रात के भोजन के बाद सेवन करना है।
- अभयारिष्ट /Abhayarishtam सिरप – दिन में दो बार सुबह और रात के भोजन के बाद 30 ml सिरप + 30ml पानी के साथ मिलाकर सेवन करना है।
मस्से पर लगाने की औषधि
- स्नुही क्षीर
- हरिद्रा
- अपामार्ग क्षार
प्रयोग विधि –
- दस बूँद स्नुही क्षीर में एक चुटकी हरिद्रा और अपामार्ग अपामार्ग क्षार मिलाकर लेप तैयार कर लें। अब इस लेप को बवासीर के मस्से पर लगाने से मस्सा सुख कर गिर जाता है।
ये दोनों औषधि बवासीर के मस्से को सुखाने में कारगर हैं।
इसके अतिरिक्त आक /मदार के दूध को बवासीर के बाहरी मस्से पर लगाने से बवासीर का मस्सा सूख कर गिर जाता है।
बवासीर में खाद्य पदार्थों से परहेज
- मांसाहार खाद्य पदार्थ, लाल मिर्च एवं मसालेदार गरिष्ट भोजन, प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन नहीं करना चाहिए।
- चाय , कॉफ़ी की जगह पर ग्रीन टी ले सकते है।
- उड़द की दाल , खटाई, रात का बचा हुआ खाना।
- आलू, बैंगन, अरवी, भिन्डी।
- शराब, तम्बाकू।
बवासीर रोगियों को क्या भोजन में शामिल करना चाहिए
- करेले का रस , मूली का रस एक दिन में 50 ग्राम से ज्यादा नहीं सेवन करना चाहिए।
- सब्जियों में पालक , गाजर, मूली, चुकुन्दर, जिमीकंद, टमाटर भोजन में शामिल करना चाहिए।
- फलों में कच्चा नारियल, केला,अनार, अमरुद, पपीता, आँवला, सुखा अंजीर।
- कुछ सूखे अंजीर को पानी में भीगा कर रात भर के लिए रख देना है। इसके बाद सुबह खाली पेट पानी से अंजीर निकाल कर खूब चबा –चबा कर खाना है। इसके बाद बचे हुए पानी को पी लेना है। इससे पेट में कब्ज नहीं होती है और कब्ज की शिकायत होने पर मल आसानी से बाहर निकलन जाती है। जिससे मस्से पर दबाव नहीं पड़ता है।
बवासीर रोग की दवा से सम्बंधित डॉक्टर से सलाह प्राप्त करने के लिए लिंक पर क्लिक करिए।
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