प्रथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण मौजूद है, तो चंद्रमा पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरता?(By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब)सर आइसक न्यूटन ने आपके इस प्रश्न का उत्तर अपनी पुस्तक A Treatise of The System of The World में एक परिकल्पना(thought experiment) के माध्यम से दिया है | उनके अनुसार यदि किसी पिंड को पर्याप्त वेग मिल जाए तो वह गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त होकर अंतरिक्ष में पहुँच सकता है |अपनी परिकल्पना के लिए उन्होंने एक तोप का गोला लिया और उसे पृथ्वी के सबसे ऊँचे पर्वत से छोड़ा (दागा ) | यदि इस तोप के गोले का वेग कम होगा ( ० से ६००० मी/से )तो वह तो वह कुछ दूर जाकर पृथ्वी पर वापस आ जाएगा | चित्र देखें-यदि तोप के गोले का वेग ऑर्बिटल वेलोसिटी जितना ( ७३०० मी/से ) हुआ तो वह एक नियत वृतीय कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा |यदि तोप का गोला इससे भी अधिक वेग ( पलायन वेग से कम ) प्राप्त कर लेता है तो वह लगातार दीर्घ वृत्तीय कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाने लगेगा |सभी चित्र विकिपीडिया से लिए गए हैं |
सर आइसक न्यूटन ने आपके इस प्रश्न का उत्तर अपनी पुस्तक A Treatise of The System of The World में एक परिकल्पना(thought experiment) के माध्यम से दिया है | उनके अनुसार यदि किसी पिंड को पर्याप्त वेग मिल जाए तो वह गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त होकर अंतरिक्ष में पहुँच सकता है |
अपनी परिकल्पना के लिए उन्होंने एक तोप का गोला लिया और उसे पृथ्वी के सबसे ऊँचे पर्वत से छोड़ा (दागा ) | यदि इस तोप के गोले का वेग कम होगा ( ० से ६००० मी/से )तो वह तो वह कुछ दूर जाकर पृथ्वी पर वापस आ जाएगा | चित्र देखें-
यदि तोप के गोले का वेग ऑर्बिटल वेलोसिटी जितना ( ७३०० मी/से ) हुआ तो वह एक नियत वृतीय कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा |
यदि तोप का गोला इससे भी अधिक वेग ( पलायन वेग से कम ) प्राप्त कर लेता है तो वह लगातार दीर्घ वृत्तीय कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाने लगेगा |
सभी चित्र विकिपीडिया से लिए गए हैं |
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