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ऐसा व्यक्ति #नर्क में नहीं जाएगा जो एक #पीपल, एक #नीम, एक #बरगद, दस #फूल वाले #पौधे अथवा #लताएं, दो #अनार, दो #नारंगी और पांच #आम के वृक्ष लगाता है।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब"#अश्वत्थमेकं पिचुमन्दमेकं न्यग्रोधमेकं दश पुष्पजातीः।द्वे द्वे तथा दाडिममातुलिंगे पंचाम्ररोपी नरकं न याति।।" #वराहपुराण (172.39)दस कुओं के बराबर एक #बावड़ी होती है, दस बावड़ियों के बराबर एक #तालाब, दस तालाबों के बराबर एक #पुत्र है और दस पुत्रों के बराबर एक #वृक्ष होता है "#दशकूपसमावापी दशवापी समो ह्रदः।दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः।।"#मत्स्यपुराण (154.511-512)किसी दूसरे के द्वारा रोपित वृक्ष का #सिंचन करने से भी महान् फलों की प्राप्ति होती है, इसमें विचार करने की आवश्यकता नही है"#सेचनादपि वृक्षस्य रोपितस्य परेण तु।महत्फलमवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।"#विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3.296.17)#पर्यावरण की दृष्टि से वृक्ष हमारा परम रक्षक और मित्र है। यह हमें अमृत प्रदान करता है। हमारी दूषित वायु को स्वयं ग्रहण करके हमें प्राणवायु देता है। वृक्ष हर प्रकार से पृथ्वी के रक्षक हैं, जो #मरुस्थल पर नियंत्रण करते हैं, नदियों की #बाढ़ की रोकथाम करते हैं व जलवायु को स्वच्छ रखते हैं। ये समय पर वर्षा लाने में सहायक हैं, धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वृक्ष ऐसे दाता हैं, जो हमें निरंतर सुख देते हैं।हमारे ऋषि-मुनि जानते थे कि #प्रकृति जीवन का स्रोत है और पर्यावरण के समृद्ध और स्वस्थ होने से ही हमारा जीवन भी समृद्ध और सुखी होता है। वे प्रकृति की #देवशक्ति के रूप में उपासना करते थे और उसे परमेश्वरी भी कहते थे। उन्होंने जीवन के आध्यात्मिक पक्ष पर गहरा चिंतन किया, पर पर्यावरण पर भी उतना ही ध्यान दिया। जो कुछ पर्यावरण के लिए हानिकारक था, उसे आसुरी प्रवृत्ति कहा और जो हितकर है, उसे दैवीय प्रवृत्ति माना।#सम्राट_अशोक, #हर्षवर्धन और #शेरशाह_सूरी ने जो राजमार्ग बनवाए थे, उनके लिए कितने ही वृक्षों की बलि चढ़ानी पड़ी थी। परंतु उन्होंने उन सड़कों के दोनों तरफ सैकड़ों नए वृक्ष भी लगवाए थे, ताकि पर्यावरण में कोई दोष न आ जाए। आज भी आप पाएंगे कि ग्रामीण समाज अपने घरों व खेतों के आसपास वृक्ष लगाते हैं। यहां वृक्षों के थाल बनाना, उनकी जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना, सींचना, वृक्षों को पूजना अथवा आदर प्रकट करना आज भी पुण्यदायक कार्य मानते हैं। ये सारी प्रथाएं इसीलिए शुरू हुईं ताकि वृक्षों-वनस्पतियों की रक्षा होती रहे और मनुष्य इनसे मिलनेवाले लाभ का आनंद उठाता रहे।बाल वनिता महिला आश्रमहमारे शास्त्रों में पर्यावरणीय घटकों की शुद्धता के लिए हमें एक अमोघ उपाय प्रदान किया गया है। वह उपाय हैं यज्ञ। आध्यात्मिक उपासना का साधन होने के साथ साथ यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करने, उसे रोग और कीटाणुरहित रखने तथा प्रदूषणरहित रखने का भी साधन है।

ऐसा व्यक्ति #नर्क में नहीं जाएगा जो एक #पीपल, एक #नीम, एक #बरगद, दस #फूल वाले #पौधे अथवा #लताएं, दो #अनार, दो #नारंगी और पांच #आम के वृक्ष लगाता है।
"#अश्वत्थमेकं पिचुमन्दमेकं न्यग्रोधमेकं दश पुष्पजातीः।
द्वे द्वे तथा दाडिममातुलिंगे पंचाम्ररोपी नरकं न याति।।" 
#वराहपुराण (172.39)

दस कुओं के बराबर एक #बावड़ी होती है, दस बावड़ियों के बराबर एक #तालाब, दस तालाबों के बराबर एक #पुत्र है और दस पुत्रों के बराबर एक #वृक्ष होता है 

"#दशकूपसमावापी दशवापी समो ह्रदः।
दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रसमो द्रुमः।।"
#मत्स्यपुराण (154.511-512)

किसी दूसरे के द्वारा रोपित वृक्ष का #सिंचन करने से भी महान् फलों की प्राप्ति होती है, इसमें विचार करने की आवश्यकता नही है

"#सेचनादपि वृक्षस्य रोपितस्य परेण तु।
महत्फलमवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।"
#विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3.296.17)

#पर्यावरण की दृष्टि से वृक्ष हमारा परम रक्षक और मित्र है। यह हमें अमृत प्रदान करता है। हमारी दूषित वायु को स्वयं ग्रहण करके हमें प्राणवायु देता है। वृक्ष हर प्रकार से पृथ्वी के रक्षक हैं, जो #मरुस्थल पर नियंत्रण करते हैं, नदियों की #बाढ़ की रोकथाम करते हैं व जलवायु को स्वच्छ रखते हैं। ये समय पर वर्षा लाने में सहायक हैं, धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वृक्ष ऐसे दाता हैं, जो हमें निरंतर सुख देते हैं।

हमारे ऋषि-मुनि जानते थे कि #प्रकृति जीवन का स्रोत है और पर्यावरण के समृद्ध और स्वस्थ होने से ही हमारा जीवन भी समृद्ध और सुखी होता है। वे प्रकृति की #देवशक्ति के रूप में उपासना करते थे और उसे परमेश्वरी भी कहते थे। उन्होंने जीवन के आध्यात्मिक पक्ष पर गहरा चिंतन किया, पर पर्यावरण पर भी उतना ही ध्यान दिया। जो कुछ पर्यावरण के लिए हानिकारक था, उसे आसुरी प्रवृत्ति कहा और जो हितकर है, उसे दैवीय प्रवृत्ति माना।

#सम्राट_अशोक, #हर्षवर्धन और #शेरशाह_सूरी ने जो राजमार्ग बनवाए थे, उनके लिए कितने ही वृक्षों की बलि चढ़ानी पड़ी थी। परंतु उन्होंने उन सड़कों के दोनों तरफ सैकड़ों नए वृक्ष भी लगवाए थे, ताकि पर्यावरण में कोई दोष न आ जाए। आज भी आप पाएंगे कि ग्रामीण समाज अपने घरों व खेतों के आसपास वृक्ष लगाते हैं। यहां वृक्षों के थाल बनाना, उनकी जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना, सींचना, वृक्षों को पूजना अथवा आदर प्रकट करना आज भी पुण्यदायक कार्य मानते हैं। ये सारी प्रथाएं इसीलिए शुरू हुईं ताकि वृक्षों-वनस्पतियों की रक्षा होती रहे और मनुष्य इनसे मिलनेवाले लाभ का आनंद उठाता रहे।
हमारे शास्त्रों में पर्यावरणीय घटकों की शुद्धता के लिए हमें एक अमोघ उपाय प्रदान किया गया है। वह उपाय हैं यज्ञ। आध्यात्मिक उपासना का साधन होने के साथ साथ यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करने, उसे रोग और कीटाणुरहित रखने तथा प्रदूषणरहित रखने का भी साधन है।

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ब्लॉगर (ज्ञान)बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबसाहित्य सेवा सदनकिसी अन्य भाषा में पढ़ेंPDF डाउनलोड करेंध्यान रखेंसंपादित करेंयह लेख ब्लॉगर नामक चिट्ठाकारी सेवा के बारे में हैउपयोक्ता (व्यक्ति) के लिए, ब्लॉगर (उपयोक्ता) देखें यह लेख आज का आलेख के लिए निर्वाचित हुआ है। अधिक जानकारी हेतु क्लिक करें।ब्लॉगर (पूर्व नाम: ब्लॉगस्पॉट) एक चिट्ठा होस्टिंग सेवा है जो गूगल ब्लॉगर प्रोग्राम के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है, व जिसके द्वारा ब्लॉगर्स अपने नए ब्लॉग शीघ्र ही बना सकते हैं। इसकी मदद से डोमेन नेम और होस्टिंग जब तक ब्लॉगर चाहे निःशुल्क उपलब्ध रहती है। गूगल के एडसेंस कार्यक्रम के द्वारा ब्लोगर्स अपने ब्लॉग से आय भी कर सकते हैं।[2] यह सुविधा अन्य चिट्ठाकारी कार्यक्रमों पर निर्भर नहीं होती। एक ब्लॉग किसी भी कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है, चाहे वह निजी दैनंदिनी के रूप में हो या व्यावसायिक कार्य के लिए या सामान्य रूप में अपने विचार दूसरों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉग्गिंग का ज्यादा उपयोग किया जाता है। ब्लॉगस्पॉट का आरंभ १९९९ में एक होस्टिंग टूल के रूप में पायरा लैब्स ने की थी। सन् २००३ में इसे गूगल ने खरीद लिया था, और तब से यह इंटरनेट पर सबसे प्रसिद्ध शुल्करहित होस्टिंग वेबसाइट बनी हुई है।ब्लॉगरब्लॉगर का प्रतिक चिन्हBlogger screen.pngब्लॉगर जालस्थल का मुखपृष्ठ (हिन्दी में), अभिगमन:२३ अप्रैल २०१०प्रकारब्लॉग होस्टइनमें उपलब्धअंग्रेज़ी , हिंदी , फ़ारसी और अन्य ५७मालिकगूगल इंका.निर्मातापायरा लैब्सजालस्थलwww.blogger.com Edit this at Wikidataएलेक्सा रैंक१९६ जनवरी २०१९व्यापारिक?हांपंजीकरणवैकल्पिक, निःशुल्कउद्घाटन तिथि२३ अगस्त १९९९[1]वर्तमान स्थितिसक्रियप्रयोगइस पर ब्लॉग निर्माण के लिए कोई जटिल सॉफ्टवेयर या तकनीकी जानकारी को डाउनलोड करना या उसका प्रयोग नहीं करना पड़ता। इस पर अपना ब्लॉग बनाने के लिए प्रयोक्ताओं को केवल गूगल पर अपना खाता बनाना पड़ता है। इस पर साइनअप के लिए प्रयोक्ता को एक अलग नाम रखना होता है जो उसके ब्लॉग का नाम होगा। यही नाम डोमेन नेम के रूप में भी प्रयोग होता है।[2] ब्लॉगस्पॉट पर अन्य कुछ ब्लॉगिंग सेवाओं जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, लेकिन इसके सर्वसाधारण टूल्स और अन्य सुविधाएं ब्लॉगिंग को अत्यंत सरल बना देती हैं। किन्तु इसका अर्थ ये नहीं है, कि ब्लॉगस्पॉट पर आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं। अधिकांश उन्नत प्रयोक्ता अपने ब्लॉग में कई परिवर्तन ला सकते हैं, जिसमें अपना साँचा (टेम्प्लेट) डिजाइन करना और गूगल का जालस्थल विश्लेषण (वेबसाइट एनलाइजिंग) कार्यक्रम का प्रयोग करने तक की भी सुविधाएं हैं। गूगल पर कई हजार उपकरण (गैजेट) हैं जिनको ब्लॉग्स पर जोड़ा (अटैच किया) जा सकता है। इनकी मदद से ब्लॉगर बहुउपयोगी उपयोक्ता ब्लॉग तैयार कर सकते हैं, जिसकी मदद से कई ब्लॉगर एक ही ब्लॉग पर अपना योगदान दे सकते हैं।सीमाएंब्लॉगर ने सामग्री भंडारण एवं तरंगदैर्घ्य (बैंडविड्थ), प्रति उपयोक्ता खाते की सीमाएं नियत की हैं[3]:ब्लॉगस की संख्या = असीमितपृष्ठ का नाप = विशिष्ट पृष्ठ (ब्लॉग का मुखपृष्ठ या पुरालेख पृष्ठ) १ एम.बी. पर सीमित हैं।लेबल्स की संख्या = २,००० अपूर्व लेबल/ब्लॉग, २० अपूर्व लेबल/पोस्टचित्र संख्या (उपयोक्ता पिकासा जाल संग्रह से हाइपरलिंक्ड) = कुल भंडार के १ जी.बी तकचित्रों का नाप = यदि ब्लॉगर मोबाइल द्वाआ पोस्ट किया गया, तब २५० के.बी. प्रति चित्र; पोस्ट की हुए चित्र 800px पर परिसीमित किये जाते हैं।टीम सदस्य (जो एक ब्लॉग को लिख सकते हों) = १००१८ फ़रवरी २०१० को,[4] ब्लॉगर ने स्वतः-पृष्ठांकन "ऑटो-पेजिनेशन" आरंभ किया है, जिससे प्रति पृष्ठ प्रदर्शित पोस्ट सीमित हो गयी हैं। जिसके कारण मुखपृष्ठ पर पोस्टों की संख्या उपयोक्ता द्वारा बतायी गई संख्या से कम होती है और कुछ उपयोक्ता रुष्ट भी हुए हैं।[5][6]अवरुद्धब्लॉगर को समय-समय पर निम्न देशों में अवरुद्ध किया गया है:फीजीचीनईरानपाकिस्तान[7]सीरियाई अरब गणराज्यम्याँमारतुर्की (अक्तूबर, २००८ में चार दिनों के लिये)[8]इन्हें भी देखेंवर्डप्रेसब्लॉगजगतब्लॉगब्लॉगरब्लॉगवाणीब्लॉगरोलहिन्दी ब्लॉगिंगसंस्कृत ब्लॉगगूगलचिट्ठाजगत.इनसन्दर्भ↑ "द स्टोरी ऑफ ब्लॉगर, Blogger.com". मूल से 19 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 अप्रैल 2010.↑ अ आ ब्लॉगस्पॉट Archived 2010-04-27 at the Wayback Machine। हिन्दुस्तान लाईव। २२ अप्रैल २०१०↑ "व्हॉट आर द लिमिट्स ऑन माई ब्लॉगर अकाउण्ट?". मूल से 15 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ दिसम्बर २००९.↑ Vardhman Jain, "Auto Pagination on Blogger Archived 2011-07-08 at the Wayback Machine", Blogger Buzz, February 18, 2010.↑ "Problem Rollup: Auto Pagination for blogs with Classic templates Archived 2010-02-27 at the Wayback Machine", Blogger Help Forum (retrieved March 1, 2010).↑ "Problem Rollup: Auto Pagination for blogs with Layouts templates", Blogger Help Forum (retrieved March 1, 2010).↑ "गूगल्स गेटकीपर्स". न्यू यॉर्क टाइम्स. २००८. मूल से 15 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ दिसम्बर २००८. Over the past couple of years, Google and its various applications have been blocked, to different degrees, by 24 countries. Blogger is blocked in Pakistan, for example, and Orkut in Saudi Arabia.↑ "Blogger.com बैन्न्ड इन टर्की". advox.globalvoices.org. 2008. मूल से 20 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-01. A Turkish court has blocked access to the popular blog hosting service Blogger (Blogger.com and Blogspot.com owned by Google), from Friday, October 24th, 2008." The ban was lifted on Tuesday, October 28th, 2008.साँचा:हिन्दी चिट्ठाजगत

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