Skip to main content

Posts

आँख मूँद कर भरोसा करने से अलग देखिए कि ईश्वर ने खुद को कैसे वर्णित किया है और वो हमें क्या प्रदान करते हैं। वनिता कासनियां पंजाब द्वारा हमारे लिए, निर्णायक रूप से यह जानना कि ‘क्या परमेश्वर का अस्तित्व है?’, और ‘वह किस प्रकार का है’, तब तक असंभव है, जब तक परमेश्वर स्वयं पहल नहीं करता और अपने आप को प्रकट नहीं करता।परमेश्वर के रहस्योद्घाटन का कोई सुराग ढ़ूँढने के लिए हमें इतिहास के पन्नों पर दृष्टि डालनी होगी। इसका एक स्पष्ट चिह्न है। 2000 साल पहले, पैलेस्टाइन के एक अव्यस्त गाँव के अस्तबल में, एक बच्चे का जन्म हुआ। आज पूरा संसार यीशु मसीह के जन्म का उत्सव मना रहा है, और सही कारण से - उनके जीवन ने इतिहास का मार्ग बदल दिया।लोगों ने यीशु को कैसे देखाहमें बताया गया है कि “आम आदमी यीशु की बातों को प्रसन्नतापूर्वक सुनते थे।” और “वह उन्हें यहूदी धर्म नेताओं के समान नहीं, बल्कि एक अधिकारी के समान शिक्षा दे रहा था।”1मगर, जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि वह अपने बारे में बहुत ही चौकानेवाला और चमत्कारिक बयान दे रहा था। उसने अपने आप को विलक्षण शिक्षक और पैगंबर से ज्यादा महान बताया। उसने साफ शब्दों में कहा कि वह परमेश्वर है। उसने अपनी शिक्षा में अपनी पहचान को मुख्य मुद्दा बनाया।अपने अनुयायीयों से, यीशु ने सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” तब शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।”2 यह सुनकर यीशु मसीह हैरान नहीं हुआ, न ही उसने पतरस को डाँटा। उसके विपरीत, यीशु ने उस की सराहना की!यीशु मसीह अक्सर “मेरे पिता” कहकर परमेश्वर को संबोधित करते थे, और उनके सुननेवालों पर उनके शब्दों का पूरा प्रभाव पड़ता था। हमें बताया गया है, “इस कारण यहूदी और भी अधिक उस को मार डालने का प्रयत्न करने लगे; क्योंकि वह न केवल सब्त (विश्राम दिन) के दिन की विधि को तोड़ता, परन्तु परमेश्वर को अपना पिता कह कर, अपने आप को परमेश्वर के तुल्य ठहराता था॥”3 एक दूसरे अवसर पर उन्होंने कहा, “मैं और मेरे पिता एक हैं।” उसी समय यहूदियों ने उसे पत्थर मारना चाहा। यीशु मसीह ने उनसे पूछा कि उसके किस अच्छे कामों के लिए वे उसे (यीशु को) पत्थर मारने के लिए प्रेरित हुए?” उन लोगों ने उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा के कारण, और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।”4यीशु ने अपने बारे में यह कहायीशु ने स्पष्ट रूप से उन शक्तियों का दावा किया, जो केवल परमेश्वर के पास हैं। जब एक लकवा मारा हुआ व्यक्ति छत से उतारा गया, ताकि वह यीशु के द्वारा चंगा हो सके, यीशु ने कहा, “पुत्र, तुम्हारे पापों से तुम्हे क्षमा कर दिया गया है।” यह सुनकर धर्मशास्त्रियों ने तुरंत प्रतिक्रया व्यक्त की कि, “यह व्यक्ति इस तरह की बातें क्यों कर रहा है? वह परमेश्वर का अपमान कर रहा है! परमेश्वर के सिवा, कौन पापों को क्षमा कर सकता है?” तब यीशु ने उनसे कहा, "कौन सा आसान है: इस लकवे से पीड़ित आदमी को कहना कि 'तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं,' या 'उठो और चलो’?”यीशु ने आगे बोला, “परन्तु जिस से तुम जान लो कि मुझ को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है, उसने उस लकवे के रोगी से कहा, “मैं तुझ से कहता हूँ, उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” वह उठा और तुरन्त खाट उठाकर सब के सामने से निकलकर चला गया; इस पर सब चकित हुए।यीशु ने इस तरह के बयान भी दिए: “मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ।”5 और “जगत की ज्योति मैं हूँ।”6 और उसने कई बार यह कहा कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, यीशु उन्हें अनन्त जीवन देगा। “और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।”7 “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नष्ट न होंगे।”8उन महत्वपूर्ण क्षणों में, जब यीशु की ज़िंदगी दाव पर लगी थी, इस तरह के दावा करने के लिए, महायाजक ने उस से सीधा सवाल किया: “क्या तू उस परम धन्य का पुत्र मसीह है?”“हाँ, मैं हूँ,” यीशु ने कहा। “और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी और बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।”तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का और क्या प्रयोजन है, तुम ने यह अपमान पूर्ण बातें कहते हुए इसे सुना।”9यीशु मसीह का परमेश्वर से सम्बंध इतना गहरा था कि उसने एक मनुष्य के उसके प्रति मनोभावों को, और परमेश्वर के प्रति उनके मनोभावों को, एक बराबर बताया। अतः, उसे जानना प्रभु को जानना था।10 उसे देखना प्रभु को देखना था।11 उसपर विश्वास करना प्रभु पर विश्वास करना था।12 उसे ग्रहण करना प्रभु को ग्रहण करना था।13 उससे बैर रखना प्रभु से बैर रखना था।14 उसका आदर करना प्रभु का आदर करना था।15संभावित स्पष्टीकरणप्रश्न यह है कि, क्या वह सच बोल रहा था?हो सकता है की यीशु ने झूठ बोला, जब उन्होने अपने आप को परमेश्वर कहा। हो सकता है कि वह जानते थे कि वह परमेश्वर नहीं है, और जान-बूझकर उन्होंने अपने सुननेवालों को धोखा दिया, ताकि अपने शिक्षण को वह एक अधिकार दे सकें। कुछ लोग ऎसा सोचते हैं। परंतु इस तर्क में एक समस्या है। जो लोग उसका दैव्य होने का इंकार करते हैं, वो तक इस बात को मानते हैं कि यीशु एक महान नैतिक शिक्षक थे। लेकिन वे इस बात को समझने में असफल रहते हैं कि दोनों बयान परस्पर विरोधी हैं। यीशु मसीह महान नैतिक शिक्षक कैसे होते, अगर, उनकी शिक्षाओं के सबसे महत्वपूर्ण विषय -- उनकी पहचान -- के बारे में वह जान-बूझकर झूठ बोलते ?“जब हम यीशु मसीह के दावों को देखते हैं, तो केवल चार संभावनाएँ दिखाई देती हैं। या तो वह झूठे हैं, या मानसिक रूप से बीमार हैं, वह एक दिव्य चरित्र हैं, या फिर सत्य हैं।”दूसरी संभावना यह है कि यीशु मसीह ईमानदार थे, पर स्वयं को धोखा दे रहे थे। आजकल, उस व्यक्ति को, जो की यह सोचता है के वह भगवान/परमेश्वर है, एक नाम से बुलाया जाता है- मानसिक रूप से विकलांग। पर जब हम यीशु मसीह के जीवन की ओर देखते हैं, तो हमें अपसामान्यता और असंतुलन का, जो कि एक मानसिक रोगी में होता है, कोई प्रमाण नहीं मिलता। बल्कि, हमें यीशु में गहरे दबाव के समय भी, असीम धैर्य दिखाई देता है।एक तीसरा विकल्प यह है कि, तीसरे और चौथे शताब्दियों में यीशु उत्साही अनुयायियों ने उनके कहे हुए शब्दों को बढ़ा-चढ़ा के प्रस्तुत किया, और यदि यीशु उन्हें सुनते तो वह चौंक जाते । और यदि वह वापस आते, तो वह तुरंत उन्हें अस्वीकार कर देते।यह सही इसलिए नहीं है, क्योंकि आधुनिक पुरातत्व इस बात की पुष्टि करते हैं कि मसीह की चार जीवनियाँ उन लोगों के जीवनकाल में लिखी गई थी जिन्होंने यीशु को देखा, सुना और उसके पीछे चले। इन सुसमाचार के खातों में उन विशिष्ट तथ्यों और विशेषताओं का वर्णन है, जिसकी पुष्टि उन लोगों ने की है जो यीशु के प्रत्यक्ष साक्षी थे।विलियम एफ अलब्राइट, जो कि अमेरीका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के साथ एक विश्व-प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद् हैं, ने कहा, की ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं है कि किसी भी सुसमाचार को 70 ए.डी. (ईसा पश्चात्) के बाद लिखा गया था। मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना द्वारा सुसमचर शुरुआत में ही लिखे जाने के कारण, उसका संचलन और प्रभाव अधिक था।यीशु मसीह ना तो झूठे थे, और ना ही मानसिक रूप से विकलांग, ना ही उनको ऐतिहासिक सच्चाई से परे निर्मित किया गया था। केवल एक अन्य विकल्प यह हो सकता है कि यीशु मसीह पूर्ण रूप से सच्चे थे जब उन्होंने यह कहा कि वह परमेश्वर हैं।यीशु मसीह परमेश्वर हैं, इसका क्या सबूत है?कोई भी, कुछ भी दावे कर सकता है। ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने परमेश्वर होने के दावे किए। मैं परमेश्वर होने का दावा कर सकता हूँ, आप भी परमेश्वर होने का दावा कर सकते हैं। पर यदि हम ऐसा करते हैं, तो इस प्रश्न का उत्तर हम सभी को देना पड़ेगा, “हम अपने दावे को साबित करने के लिए क्या ठोस सबूत, या प्रमाण पत्र ला सकते हैं?” मेरे बारे में पूँछे तो, मेरे दावे का खंडन करने में आपको पाँच मिनट भी नहीं लगेंगे। आपके दावे का खंडन करने में भी शायद इससे ज्यादा समय न लगे। पर बात जब नासरत के यीशु मसीह की आती है, तब उनके दावे का खंडन करना इतना आसान नहीं है। उनके पास अपने दावे को पूरा करने का प्रमाण पत्र था। उन्होंने कहा, “…तो चाहे [तुम] मेरा विश्वास न भी करो, परन्तु उन कामों का तो विश्वास करो, ताकि तुम जानो और समझो कि पिता मुझ में है और मैं पिता में हूँ।”16यीशु के जीवन की गुणवत्ता- उनका अद्वितीय नैतिक चरित्रउनका अद्वितीय नैतिक चरित्र उनके दावे से मेल खाता हुआ था। उनकी जीवन शैली इस तरह की थी कि वह अपने शत्रुओं को अपने प्रश्नों द्वारा चुनौती दे सकते थे, “तुम में से कौन मुझे पापी ठहरा सकता है?”17 उन्हें चुप्पी मिली (कोई कुछ ना बोल सका), जब कि उन्होंने उनको संबोधित किया जिन्होंने उनके चरित्र में दोष ढूँढ़ने की चेष्टा की थी।हम पढ़ते हैं कि यीशु मसीह को शैतान द्वारा प्रलोभित किया गया, पर हमने कभी भी उनसे कोई पाप करने की स्वीकारोक्ति नहीं सुनी। उन्होंने कभी भी क्षमा-याचना नहीं की, हालांकि उन्होंने अपने अनुयायियों से ऐसा करने को कहा।यीशु में कोई भी नैतिक विफलता ना होने की भावना, आश्चर्यजनक है, विशेषत: जब हम यह देखते हैं कि वह उन अनुभवों के बिल्कुल विपरीत है जो संतों और मनीषियों ने पूर्णतया, उम्रभर अनुभव किए। नर और नारी जितना परमेश्वर के समीप जाते हैं, उतना ही ज्यादा वे अपनी विफलता/असफलता, भ्रष्टाचार और कमियों से अभिभूत होते हैं। एक चमकते हुए प्रकाश के निकट जितना कोई जाए, उसे अपने को स्वछ करने की आवश्यकता का अधिक एहसास होता है। साधारण मनुष्यों के लिये, नैतिक क्षेत्र में यह सत्य है।यह भी उल्लेखनीय है कि यूहन्ना, पौलुस, और पतरस, जिनको बचपन से ही पाप की सार्वभौमता पर विश्वास करने का प्रशिक्षण मिला था, उन सभी ने यीशु मसीह के पाप रहित होने की चर्चा की “न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली।”18पिलातुस ने भी, जिसने यीशु मसीह को मृत्युदंड सुनाया, यह पूछा, “इसने ऎसा क्या पाप किया है?” भीड़ की बात सुनने के बाद पिलातुस ने यह निष्कर्ष निकाला, “मैं इस धर्मी के लहू से निर्दोष हूँ; तुम लोग जानो।” भीड़ निर्दयतापूर्वक यीशु को क्रूस पर चढ़ाने की माँग करती रही (परमेश्वर–निन्दा के लिये, परमेश्वर होने का दावा करने के लिये)। रोमी सेना नायक, जिसने यीशु को क्रूस पर चढ़ाने में हाथ बँटाया था, कहा, “सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था।”19यीशु मसीह ने बीमारों को चंगा कियायीशु ने निरंतर अपनी शक्ति/सामर्थ और करुणा का प्रदर्शन किया। उन्होंने लँगड़ों को चलाया, गूंगों से बुलवाया और अंधों को दिखाया, और अनेक रोगियों को चांगई दी। उदाहरणस्वरूप, एक भिखारी, जो जन्म से अंधा था और जिसको सब पहचानते थे, आराधनालय के बाहर बैठता था। यीशु मसीह से चंगाई पाने के बाद, धार्मिक अधिकारियों ने भिखारी से यीशु के बारे में पूछ ताछ की। तब उसने कहा, “एक चीज मैं जानता हूँ। मैं अंधा था, पर अब मैं देख सकता हूँ!” उसने ऐलान किया। उसे आश्चर्य हो रहा था कि इन धर्म के प्राधिकारियों ने इस आरोग्य करनेवाले को परमेश्वर के पुत्र के रूप में कैसे नहीं पहचाना। “जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आँखें खोली हों,” उसने कहा।20 उसके लिए यह प्रमाण स्पष्ट थाप्रकृति को नियंत्रित करने की उनकी क्षमतायीशु मसीह ने प्रकृति पर एक अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन किया। केवल शब्दों द्वारा, उन्होंने गलील के समुद्र पर तेज हवाओं और लहरों वाले तूफान को शांत किया। जो नावों पर सवार थे वे अचंभा करके आपस में पूछने लगे, “यह कौन है, कि आँधी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?21 एक विवाह में उन्होंने पानी को दाखरस में बदल दिया। उन्होंने 5000 लोगों की भीड़ को पांच रोटियों और दो मछलियों से खाना खिलाया। उन्होंने एक दुखी विधवा के इकलौते बेटे को मृत से जीवित कर दिया।लाज़र, यीशु का मित्र, मर गया था और चार दिनों तक वह कब्र में था। फिर भी यीशु ने उसे पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!” और उसे मृत्यु से वापस जीवित कर दिया, और अनेक लोग इस के गवाह थे। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उनके शत्रुओं ने इस चमत्कार से इनकार नहीं किया, बल्कि, उन्हें मारने का फैसला लिया। “यदि हम उसे यों ही छोड़ दे,” उन्होंने कहा, “तो सब उस पर विश्वास ले आएंगे।”22क्या यीशु परमेश्वर है, जैसा कि उन्होंने दावा किया?यीशु मसीह के परमेश्वर होने का सर्वोच्च सबूत उनके मृत होने के बाद उनका पुनरुत्थान (मरे हुओं में से जी उठना) है। अपने जीवनकाल में, पाँच बार यीशु ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की कि किस विशिष्ट तरीके से उन्हें मारा जाएगा और इस बात की पुष्टि की कि तीन दिन बाद वह मृत शरीर को छोड़कर फिर जीवित हो जाएँगे।निश्चित रूप से यह एक बड़ा परीक्षण था। यह एक ऐसा दावा था जिसे प्रमाणित करना आसान था। या तो ऐसा होता, या फिर नहीँ। या तो यह उनकी बताई गई पहचान को सच साबित कर देता, या नष्ट कर देता। और, आपके और मेरे लिए जो महत्वपूर्ण बात है, वो यह है - यीशु के पुनरुत्थान से या तो इन बातों की पुष्टि होती, या यह बयान उपहास बन जाते:“मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”23 “जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”24 और जो मुझ पर विश्वास करेगा, “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ…”25तो, इस प्रकार अपने ही शब्दों में उन्होंने यह प्रमाण दिया, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे; और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।”26यीशु मसीह कौन है?अगर यीशु मरे हुओं में से जीवित हुए, तो जो कुछ उन्होंने कहा कि वह हमें प्रदान करते हैं, वह उसे पूरा कर सकते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि वह निसंदेह पापों को क्षमा कर सकते हैं, हमें अनंत जीवन दे सकते हैं, और इस जीवन में हमारा मार्ग दर्शन कर सकते हैं। वह परमेश्वर हैं, इसलिए अब हम जान गए हैं की परमेश्वर कैसा है और हम उसके निमंत्रण को स्वीकार कर सकते हैं- उन्हें व्यक्तिगत रूप से और हमारे लिए उनके प्रेम को जानने के लिए।“कहना आसान होता है। दावे कोई भी कर सकता है। पर बात जब नासरत के यीशु मसीह की आती है… उनके पास अपने दावे का समर्थन करने के पूरे प्रमाण थे।”दूसरी ओर, अगर यीशु मसीह मरे हुओं में से नहीं जी उठे, तो मसीही धर्म की कोई वैधता या वास्तविकता नहीं है। इसका मतलब ये सब झूठ है, और यीशु केवल एक आम आदमी थे जो कि मर चुका है। और वे लोग जो मसीही धर्म के लिए शहीद हुए, और समकालीन धर्मप्रचारक, जिन्होंने उनका संदेश दूसरों को देने में अपने प्राण तक गँवा दिए, भ्रांतिमूलक मूर्ख थे।क्या यीशु ने सिद्ध किया कि वह परमेश्वर हैं?आइए यीशु के पुनरुत्थान के प्रमाणों पर एक नजर डालें –यीशु ने जितने भी चमत्कारों का प्रदर्शन किया, उन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि वह आसानी से क्रूस से अपने आपको बचा सकते थे, पर उन्होंने ऐसा करना नहीं चुना।उसे बंदी बनाते समय, यीशु के मित्र पतरस ने उन्हें बचाने की चेष्टा की। परंतु, यीशु ने पतरस से कहा, “अपनी तलवार म्यान में रख ले…क्या तू नहीं जानता कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा?”28 स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों में, उनके पास इस प्रकार की शक्ति थी। यीशु मसीह ने अपनी इच्छा से अपनी मृत्यु को स्वीकार किया।यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना और गाढ़ा जानायीशु की मृत्यु भीड़ के सामने उन्हें क्रूस पर चढ़ाकर की गई। यह रोमन सरकार का, कई शताब्दियों से चला आ रहा, यातना देकर मृत्यु देने का एक आम तरीका था। यीशु ने कहा कि यह हमारे पापों का भुगतान करने के लिए था। यीशु के विरुद्ध आरोप परमेश्वर-निन्दा (परमेश्वर होने का दावा करने का) था।यीशु को अनेक रस्सियों से बने मोटे कोड़े से मारा गया जिसमें धातु और हड्डी के खंडित टुकड़े जड़े थे। उनका ठट्ठा उड़ाने के लिए, लंबे काँटों से बनाया गया मुकुट उनके सिर पर रखा गया। उन्होंने यीशु मसीह को यरुशलेम के बाहर, उस प्राणदण्ड के पहाड़ पर पैदल चल कर जाने के लिए मजबूर किया, जहाँ उन्हें एक लकड़ी के क्रूस पर लटकाया गया, और उनके पैरों और हाथों को क्रूस पर कीलों से ठोक दिया गया। जब तक वह मर नहीं गए, उस क्रूस पर लटके रहे। यह जानने के लिए कि वह मर चुके हैं या नहीं, उनके पंजर को बरछे से बेधा गया।यीशु के शव को क्रूस से उतारा गया, और उसे सुगन्ध-सामग्री के साथ चादर में लपेटा गया। उन के शव को एक कब्र में, जो चट्टान में खोदी गई थी, रख दिया, और फिर कब्र के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा पत्थर लुढ़का कर टिका दिया गया, ताकि द्वार सुरक्षित रहे।सब जानते थे कि यीशु ने कहा था कि वह तीन दिन बाद मृत शरीर से जीवित हो उठेंगे। अतः उनकी कब्र पर प्रशिक्षित रोमन सैनिक पहरेदारों को तैनात कर दिया गया। उन्होंने कब्र के बाहर एक सरकारी रोमन मुहर लगा दी ताकि यह घोषित हो सके कि यह सरकारी संपत्ति है।तीन दिन बाद, वह कब्र खाली थीइन सब के बावजूद, तीन दिन बाद, वह पत्थर जो कि कब्र को सीलबंद कर रहा था, कब्र से कुछ दूर एक ढलान पर पाया गया। यीशु का शरीर वहाँ नहीं था। कब्र में केवल चादर पड़ी थी, बिना शव के।इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि यीशु के आलोचक और अनुयायी, दोनों मानते हैं कि कब्र खाली थी और उनका शरीर गायब था।शुरुआत में इस स्पष्टीकरण को परिचालित किया जा रहा था कि जब पहरेदार सो रहे थे तब उनके शिष्यों ने उनका शरीर चुरा लिया था। पर यह तथ्यहीन लगता है, क्योंकि रोमन सेना के प्रशिक्षित पहरेदारों का इस प्रकार, पहरे के समय, सो जाना मृत्युदंड के अपराध से कम नहीं था।इसके अलावा, प्रत्येक शिष्य को (अकेला करके और विभिन्न भौगोलिक स्थानों में) यातना दी गई और शहीद किया गया, इस दावे के लिए कि यीशु जीवित थे और मरे हुओं में से जी उठे थे। पर वे अपने दावों से नहीं पलटे। कोई भी इंसान उस सच्चाई के लिए मरने के लिए तैय्यार होता है जिसको वह सच मानता है, चाहे वह वास्तव में झूठ हो। परंतु, वह उस बात के लिए नहीं मरना चाहता जो वह जानता है की झूठ है। यदि कोई ऐसा समय है जब एक इंसान सत्य बोलता है, तो वह उसकी मृत्यु की निकटता के समय पर होता है। हर शिष्य अंत तक यीशु के जी उठने का प्रचार करता रहा।हो सकता है कि प्राधिकारियों ने यीशु के शरीर को वहाँ से हटा दिया हो? पर यह भी एक कमजोर संभावना है। उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया, ताकि वे लोगों को उन पर विश्वास करने से रोक सकें। अगर उनके पास यीशु का शरीर (शव) होता, तो वे उसे यरुशलेम के नगर में उसका परेड करते। एक ही बारी में वे सफलतापूर्वक मसीही धर्म को दबाने में कामयाब हो जाते। कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, यह इस बात की महान गवाही देता है कि उनके पास यीशु का मृत शरीर नहीं था।एक दूसरा मत यह है कि महिलाएँ (जिन्होंने सबसे पहले यीशु की खाली कब्र को देखा) व्याकुल और दुख से अभिभूत होकर सुबह के धुंधलेपन में अपना रास्ता भूलकर गलत कब्र में चली गई हों। अपनी पीड़ा में उन्होंने कल्पना कर ली कि यीशु पुनःजीवित हो गए हैं, क्योंकि कब्र खाली थी। पर इस बात में भी संदेह है क्योंकि यदि औरतें गलत कब्र में चली गईं, तो महायाजकों और धर्म के दूसरे दुश्मनों ने सही कब्र पर जाकर यीशु का शरीर क्यों नहीं दिखाया?एक अन्य संभावना, कुछ लोगों के अनुसार, “बेहोशी का सिद्धांत” है। इस सिद्धांत के अनुसार, यीशु वास्तव में मरे ही नहीं। उन्हें भूल से मृत माना गया था, और वास्तव में थकान, दर्द, और खून की कमी के कारण वह बेहोश हो गए थे, और कब्र में ठंडक होने की वजह से उन में चेतना लौट आई। (इस हिसाब से, आपको इस तथ्य को अनदेखा करना होगा कि उसके पंजर को बरछे से बेधा गया था, ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि वह मर चुका था।)“कोई भी इंसान उस सच्चाई के लिए मरने के लिए तैय्यार होता है जिसको वह सच मानता है, चाहे वह वास्तव में झूठ हो। परंतु, वह उस बात के लिए नहीं मरना चाहता जो वह जानता है की झूठ है।”.लेकिन, आइए हम एक क्षण के लिए यह मान लें कि यीशु को जिन्दा गाढ़ा गया और वह बेहोश थे। तो क्या यह विश्वास करना संभव है कि तीन दिन तक वह बिना भोजन या पानी के, या किसी भी प्रकार की देखभाल के, एक नम कब्र में जीवित रहे होंगे? क्या उन में इतनी ताकत थी कि अपने आप को कब्र के कपड़े से बाहर निकाले, भारी पत्थर को कब्र के मुँह से हटाएँ, रोमन पहरेदारों पर विजय पाएं, और मीलों तक उन पैरों पर चलकर जाएँ, जिनको कि कीलों से बेधा गया था? इसका कोई तुक नहीं बनता।तो भी, केवल खाली कब्र ने अनुयायियों को यह विश्वास नहीं दिलाया कि यीशु वास्तव में परमेश्वर थे।केवल खाली कब्र ही नहींकेवल खाली कब्र ने उन्हें यह विश्वास नहीं दिलाया कि यीशु वास्तव में मरे हुओं में से जीवित हुए, वह जीवित थे, और वह परमेश्वर थे। इन सब बातों ने भी उन्हें विश्वास दिलाया - यीशु कई बार दिखाई दिए, जीवित हाड़ माँस के व्यक्ति के रूप में, और उन्होंने उनके साथ खाना खाया, उनसे बातें कीं - विभिन्न स्थानों, विभिन्न समय, विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ उन्होंने बात की। लूका, सुसमाचार के लेखकों में से एक, ने यीशु के बारे में कहा, “उसने अपने आपको बहुत से ठोस प्रमाणों के साथ उनके सामने प्रकट किया कि वह जीवित है। वह चालीस दिनों तक उनके समने प्रकट होता रहा तथा परमेश्वर के राज्य के विषय में उन्हें बताता रहा।”29क्या यीशु मसीह परमेश्वर हैंसुसमाचार के चारों लेखक ये बताते हैं कि यीशु को गाढ़ने के बाद वह शारीरिक रूप से उन्हें दिखाई पड़े। एक बार जब वह शिष्यों को दिखाई दिए, तो थोमा (एक शिष्य) वहाँ नहीं था। जब दूसरे शिष्यों ने थोमा को उनके बारे में बताया तो थोमा ने विश्वास नहीं किया। उसने सीधा-सीधा बोला, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद देख न लूँ और कीलों के छेदों में अपनी उंगलियाँ न डाल लूँ, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूँ, तब तक मुझे विश्वास ना होगा।”एक सप्ताह बाद यीशु उन्हें फिर से दिखाई दिए। उस समय थोमा भी उनके साथ था। यीशु ने थोमा से कहा, “अपनी उंगली डाल और मेरे हाथों को देख, और अपने हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल। संदेह करना छोड़ और विश्वास कर।” यह सुनकर थोमा ने जवाब दिया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर।”यीशु ने उससे कहा, “तूने मुझे देखकर, मुझमें विश्वास किया है। वे लोग धन्य हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया।”30यीशु आपको क्या प्रदान करते हैंमसीह, जीवन को उद्देश्य और दिशा देते हैं। “जगत की ज्योति मैं हूँ,” वह कहते हैं। “जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”31कई लोग सामान्य रूप से जीवन के उद्देश्य, और विशेष रूप से अपने स्वयं के जीवन के बारे में, अंधेरे में हैं। ऐसा महसूस होता है जैसे की वो अपने जीवन में बत्ती जलाने वाला स्विच खोज रहे हैं। जो कोई भी अंधेरे में, या किसी अपरिचित कमरे में रहा है, वह असुरक्षा की भावना के बारे में बहुत अच्छे से जनता है। लेकिन, जब बत्ती जलती है, तो एक सुरक्षा की भावना होती है। ठीक ऐसे ही महसूस होता है जब हम अंधेरे से, यीशु मसीह की ज्योति में कदम रखते हैं।दिवंगत विश्लेषी मनोविज्ञानिक, कार्ल गुसतव जंग, ने कहा, “हमारे समय की सबसे नाज़ुक समस्या, खालीपन है। हम सोचते हैं कि हमारे अनुभव, हमारा ज्ञान, रिश्ते, पैसा, सफलता, कामयाबी, प्रसिद्धी, हमें वह आनंद प्रदान करेंगे, जिस की हमें खोज है। पर हमेशा एक खालीपन रह जाता है। ये सब पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करतीं। हम परमेश्वर के लिए बनाए गए है, और हमें तृप्ति केवल उन्ही में प्राप्त होगी।”यीशु ने कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ: जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा न होगा, और जो मुझ पर विश्वास करता है वह कभी प्यासा न होगा।”32आप यीशु के साथ एक घनिष्ट संबंध इसी समय स्थापित कर सकते हैं। आप पृथ्वी पर, इस जीवन में परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से जान सकते हैं, और मरने के बाद अनंत काल में। यहाँ परमेश्वर का वायदा है, जो उसने हमसे किया है:“क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उसपर विश्वास करे, उसका नाश न हो, परन्तु वह अनन्त जीवन पाए।”33यीशु ने हमारे पापों को, क्रूस पर, अपने ऊपर ले लिया। हमारे पापों के लिए उन्होंने दंड स्वीकार किया, ताकि हमारे पाप उनके और हमारे बीच में दीवार न बन सकें। क्योंकि उन्होंने हमारे पापों का पूरा भुगतान किया, वह हमें पूर्ण क्षमा और अपने साथ एक रिश्ता प्रदान करते हैं।यहाँ बताया गया है कि आप इस रिश्ते की शुरुआत कैसे कर सकते हैं।यीशु ने कहा, “देख, मैं [तेरे हृदय के] द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके घर में प्रवेश करूँगा…।”34आप यीशु मसीह को इसी समय अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं। आपके शब्द नहीं, केवल आपकी उसके प्रति प्रतिक्रिया, मुख्य है। यह जानते हुए कि उसने आपके लिए क्या किया है, और क्या कर रहा है, आप उससे कुछ ऐसे कह सकते हैं, “यीशु, मैं आप पर विश्वास करता हूँ। मेरे पापों के लिए क्रूस पर मरने के लिए आपका घन्यवाद। मैं चाहता हूं कि आप मुझे क्षमा करें और अभी इसी समय मेरे जीवन में आइए। मैं आपको जानना चाहता हूँ और आपके पीछे चलना चाहता हूँ। मेरे जीवन में आने के लिए, और मेरे साथ इसी समय से एक रिश्ता बनाने के लिए, आपका धन्यवाद।”अगर आपने यीशु को अपने जीवन में आने का निमंत्रण दिया है, तो यीशु को और अच्छी तरह से जानने में हम आपकी मदद करना चाहते हैं। हमारी मदद के लिए कृपया निःसंकोच होकर नीचे दिए गए किसी भी लिंक पर क्लिक करें।वनिता कासनियां पंजाब

आँख मूँद कर भरोसा करने से अलग देखिए कि ईश्वर ने खुद को कैसे वर्णित किया है और वो हमें क्या प्रदान करते हैं। वनिता कासनियां पंजाब द्वारा  हमारे लिए, निर्णायक रूप से यह जानना कि ‘क्या परमेश्वर का अस्तित्व है?’, और ‘वह किस प्रकार का है’, तब तक असंभव है, जब तक परमेश्वर स्वयं पहल नहीं करता और अपने आप को प्रकट नहीं करता। परमेश्वर के रहस्योद्घाटन का कोई सुराग ढ़ूँढने के लिए हमें इतिहास के पन्नों पर दृष्टि डालनी होगी। इसका एक स्पष्ट चिह्न है। 2000 साल पहले, पैलेस्टाइन के एक अव्यस्त गाँव के अस्तबल में, एक बच्चे का जन्म हुआ। आज पूरा संसार यीशु मसीह के जन्म का उत्सव मना रहा है, और सही कारण से - उनके जीवन ने इतिहास का मार्ग बदल दिया। लोगों ने यीशु को कैसे देखा हमें बताया गया है कि “आम आदमी यीशु की बातों को प्रसन्नतापूर्वक सुनते थे।” और “वह उन्हें यहूदी धर्म नेताओं के समान नहीं, बल्कि एक अधिकारी के समान शिक्षा दे रहा था।” 1 मगर, जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि वह अपने बारे में बहुत ही चौकानेवाला और चमत्कारिक बयान दे रहा था। उसने अपने आप को विलक्षण शिक्षक और पैगंबर से ज्यादा महान बताया। ...
Recent posts

अप्रैल महीने के महत्वपूर्ण दिवस और तिथियाँ By वनिता कासनियां पंजाब 1 अप्रैलAns.- मूर्ख (अप्रैल फूल) दिवस, उड़ीसा दिवस 2 अप्रैलAns.- विश्व ऑटिज्म (स्वलीनता) जागरूकता दिवस 5 अप्रैलAns.- राष्ट्रीय मेरीटाइम दिवस 6 अप्रैलAns.- अंतराष्ट्रीय खेल दिवस 7 अप्रैलAns.- विश्व स्वास्थ्य दिवस, विशेष सुरक्षा समूह स्थापना दिवसनोट- 1948 में इसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का गठन किया गया था, लेकिन पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 1950 में मनाया गया । 10 अप्रैलAns.- विश्व होम्योपैथी दिवस 11 अप्रैलAns.- राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 13 अप्रैलAns.- जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस 14 अप्रैलAns.- बी.आर अम्बेडकर स्मरण दिवस, विश्व एयरोनॉटिक्स और ब्रह्माण्ड विज्ञान दिवस 17 अप्रैलAns.- विश्व हीमोफिलिया दिवस 18 अप्रैलAns.- विश्व विरासत दिवस 21 अप्रैलAns.- राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस, World Creativity and Innovation Day, National Secretaries day 22 अप्रैलAns.- विश्व पृथ्वी दिवसनोट- वर्ष 1970 में विश्व पृथ्वी दिवस की शुरुआत हुई। 23 अप्रैलAns.- विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस, विश्व अंग्रेजी भाषा दिवस 24 अप्रैलAns.- राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (राष्ट्रीय स्थानीय स्वशासन दिवस), प्रयोगशाला पशुओं के लिए विश्व दिवस 25 अप्रैलAns.- विश्व मलेरिया दिवस 28 अप्रैलAns.- अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक स्मृति दिवस, कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस 29 अप्रैलAns.- अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस

अप्रैल महीने के महत्वपूर्ण दिवस और  तिथियाँ               By  वनिता कासनियां पंजाब  1 अप्रैल Ans.-  मूर्ख (अप्रैल फूल) दिवस ,  उड़ीसा दिवस  2 अप्रैल Ans.-  विश्व ऑटिज्म (स्वलीनता) जागरूकता दिवस  5 अप्रैल Ans.-  राष्ट्रीय मेरीटाइम दिवस  6 अप्रैल Ans.-  अंतराष्ट्रीय खेल दिवस  7 अप्रैल Ans.-  विश्व स्वास्थ्य दिवस, विशेष सुरक्षा समूह स्थापना दिवस नोट-  1948 में इसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का गठन किया गया था, लेकिन पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 1950 में मनाया गया ।  10 अप्रैल Ans.-  विश्व होम्योपैथी दिवस  11 अप्रैल Ans.-  राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस  13 अप्रैल Ans.-  जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस  14 अप्रैल Ans.-  बी.आर अम्बेडकर स्मरण दिवस, विश्व एयरोनॉटिक्स और ब्रह्माण्ड विज्ञान दिवस  17 अप्रैल Ans.-  विश्व हीमोफिलिया दिवस  18 अप्रैल Ans.-  विश्व विरासत दिवस  21 अप्रैल Ans.-  राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस , ...

ध्यान :- स्टारसीड्स: पृथ्वी पर अपने मिशन और भूमिकाओं को समझना वनिता कासनियां पंजाब लाइट वर्कर होने का क्या अर्थ है, लाइटवर्कर मिशन क्या है और लाइटवर्कर के रूप में आपकी भूमिका में आपसे क्या करने की अपेक्षा की जाती है?एक पारी हो रही है। ,मानवता बदल रही है। दुनिया भर में लोग महसूस कर रहे हैं कि पिछले प्रतिमान काम नहीं कर रहे हैं और जीवित रहने के लिए हमें अपने जीने के तरीके को बदलना होगा।इस समय के दौरान, कई लोग खुद को लाइटवर्कर्स के रूप में पहचानते हैं और मानते हैं कि वे यहां दुनिया को बदलने में मदद करने के मिशन पर हैं। सरल शब्दों में, एक लाइटवर्कर वह व्यक्ति होता है जो स्वयं और दूसरों के कंपन को बढ़ाकर दुनिया को बदलने का विकल्प चुनता है। उच्च कंपन के कई रास्ते हैं और वे सभी व्यवहार्य हैं: यह इस बात का विवरण नहीं है कि आप वहां कैसे पहुंचते हैं, बल्कि इसका परिणाम सबसे महत्वपूर्ण है।इस लेख के बारे में समझने के लिए एक महत्वपूर्ण बात यह है कि, किसी भी दृष्टांत की तरह, यह आपको मिशन को समझने में मदद करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है और आप परिचित भाषा और चित्रों का उपयोग करके क्या हो रहा है।हम सभी लाइटवर्कर्स के लिए स्पष्ट रूप से बोलने का अनुमान नहीं लगाते हैं: हम केवल कुछ ऐसी संरचना बनाना चाहते हैं जो लोगों को उस नई दुनिया को समझने में मदद करे जिसमें वे खुद को जी रहे हैं, और महत्वपूर्ण रूप से, वे चीजें जो वे अपने जीवन में अनुभव कर रहे हैं। हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि निर्माता के रूप में, आपके पास विकल्प है कि कौन सा मार्ग आपको अपनी ओर खींचता है।सामान्य शब्दों को समझने से हमें सामूहिक समूह के रूप में आगे बढ़ने में मदद मिलती है।जब हमारे पास परिभाषाएं और शब्दावली होती है, तो हम खुद को और शब्दावली के शब्दार्थ को समझाने में कम समय बर्बाद करते हैं, और अधिक समय इस बारे में बात करते हैं कि वास्तव में हम सभी के लिए क्या मायने रखता है - वे मुद्दे जो हमें एक सामूहिक के रूप में एक साथ लाए हैं।जैसा कि आप नीचे मॉर्फिक क्षेत्र के बारे में जानेंगे, एक एकीकृत विचार संरचना होने से हमें वैश्विक ऊर्जावान क्षेत्र में भी एक मजबूत और अधिक एकजुट उपस्थिति बनाने में मदद मिलती है - मूल रूप से ढांचे को पढ़ने और समझने से आप मॉर्फिक क्षेत्र के माध्यम से दूसरों से जुड़ सकते हैं जिन्होंने ऐसा ही किया है।जैसा कि आप नीचे मॉर्फिक क्षेत्र के बारे में जानेंगे, एक एकीकृत विचार संरचना होने से हमें वैश्विक ऊर्जावान क्षेत्र में भी एक मजबूत और अधिक एकजुट उपस्थिति बनाने में मदद मिलती है - मूल रूप से ढांचे को पढ़ने और समझने से आप मॉर्फिक क्षेत्र के माध्यम से दूसरों से जुड़ सकते हैं जिन्होंने ऐसा ही किया है।इस तरह हम एक दूसरे को अपने वास्तविक दिन-प्रतिदिन के जीवन में भी आकर्षित करेंगे या प्रकट करेंगे, एक सामान्य ऊर्जावान समझ पैदा करेंगे और इसलिए, ऊर्जावान प्रतिध्वनि और बंधन। आपको यह भी पता चलेगा कि अपने स्वयं के कंपन को बढ़ाना आपके नियंत्रण में है और आपका प्रभाव स्वयं से परे है।लाइटवर्कर्स,लाइटवर्कर्स और प्रकाश प्राणी, आत्माओं के समूह के लिए सामूहिक शब्द हैं, जिन्होंने इस समय के दौरान पृथ्वी पर अवतार लिया है ताकि ग्रह को जागरूकता के एक नए स्तर पर और एक नई वास्तविकता में बदलने में मदद मिल सके।संक्षेप में हम यहां खुद को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हैं और सबसे अच्छे लोग और आत्मा होने के नाते, हम अपनी ऊर्जा और उन लोगों की ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए सक्रिय और जानबूझकर कदम उठा रहे हैं जिनके साथ हम संपर्क में आते हैं।समय के साथ हमारी ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा का एक ग्रिड बनाने के लिए गठबंधन करेगी जो दुनिया भर में होलोग्राफिक क्षेत्र को बदलती है, मानवता को एक उच्च चेतना में स्थानांतरित करती है, और हमें दुनिया के सभी लोगों के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए हमारे सामूहिक ज्ञान को लागू करने में सक्षम बनाती है।यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि लाइटवर्क धर्म के बारे में नहीं है।जबकि चर्चा की गई धार्मिक अवधारणाओं के पहलू हैं (जैसे कि क्राइस्ट कॉन्शियसनेस), लाइटवर्क की अवधारणा में धार्मिक पसंद से परे विश्वास शामिल है। वास्तव में, एक लाइटवर्कर के विकास के हिस्से में यह स्वीकार करना शामिल है कि दूसरों के पास एक अलग विश्वास प्रणाली हो सकती है, क्योंकि यह विश्वास का विवरण नहीं है, बल्कि विश्वास के अनुभव से प्रेरित उच्च कंपन का परिणाम है।आत्मा पहलूलाइटवर्कर्स खुद को लाइटवॉरियर्स, स्टार सीड्स, स्टार बीइंग्स, प्लीडियन, सीरियन, आर्कटुरियन, ईटी, अर्थ एंजेल्स, ह्यूमन एंजेल्स, एम्पाथ्स, हीलर और बहुत कुछ के रूप में पहचान सकते हैं।जबकि कुछ दुर्लभ मामलों में आपके पास प्लीडियन, सीरियन या अन्य ईटी हैं जिन्होंने विशेष रूप से मदद करने के लिए यहां अवतार लिया है या मानव शरीर में प्रवेश किया है, कई मामलों में ये शब्द वास्तव में आत्मा के पहलुओं को संदर्भित करते हैं जो आपके अंदर जाग रहे हैं, आपको मार्गदर्शन और समझ प्रदान करते हैं।आपकी आत्मा आत्मा के पहलुओं या टुकड़ों के सम्मिश्रण से बनी हो सकती है।आपकी आत्मा को बनाने वाले जितने अधिक आत्मा पहलू होंगे, वह उतना ही मजबूत होगा। प्लेयडियन शिक्षाओं के अनुसार, एक मसीही आत्मा, जो हमारे ब्रह्मांड के भीतर चेतना का उच्चतम स्तर है, में 1,44,000 आत्मिक पहलू शामिल हैं। तो मसीह शब्द वास्तव में एक उपाधि है, और यदि आप ज्ञान के उस स्तर तक पहुँच जाते हैं तो मसीह आपके नाम के साथ जुड़ जाएगा।एक मसीही आत्मा का विचार वास्तव में इस बात से उपजा है कि कैसे एलोहीम के समय के आसपास सृष्टि की शुरुआत में आत्माओं का निर्माण किया गया था। अलग होने और फिर से तांत्रिक संघ में शामिल होने के हमारे आनंद और उत्साह में, तांत्रिक मिलन की एक घटना में 1,44,000 आत्माएं सहज तांत्रिक मिलन में विलीन हो गईं, जिससे पुत्रत्व या मसीही आत्मा का निर्माण हुआ। संक्षेप में, आप कह सकते हैं कि 1,44,000 आत्माएं सामूहिक रूप से ईश्वर हैं, जैसा कि हम ईश्वर के बारे में सोचते हैं, जबकि अन्य 1,44,000 आत्माएं पुत्रत्व का निर्माण करती हैं।सोनशिप्सल्स वे हैं जो पृथ्वी पर और सृष्टि में अन्य भौतिक आयामों पर अवतार लेते हैं। प्रत्येक आत्मा आगे 144,000 टुकड़ों में विभाजित हो सकती है और वे टुकड़े 144,000 टुकड़ों में विभाजित हो सकते हैं, जिससे आप एक ही समय में कई आयामों और वास्तविकताओं में कई अवतार ले सकते हैं।मुख्यधारा के धर्म के विपरीत, जिसमें आप यीशु या एक विशिष्ट देवता की पूजा करेंगे, लाइटवर्कर्स का लक्ष्य यीशु या बुद्ध की तरह बनना है: चेतना के उच्च स्तर पर काम करने वाला व्यक्ति।जैसे-जैसे आप अपने पथ पर आगे बढ़ते हैं और अपनी चेतना विकसित करते हैं, वैसे-वैसे आने वाली सूचनाओं का उछाल वास्तव में इस समय के दौरान आपकी (और हम सभी की) मदद करने के लिए उच्च आयामों से आपके साथ लाए गए आत्मा के पहलुओं से होता है। ये आत्मा पहलू उन जीवनों से हो सकते हैं जिन्हें आप पहले ही जी चुके हैं या आप भविष्य में जीएंगे, क्योंकि भौतिक सृजन के दायरे में समय केवल रैखिक और सन्निहित है।होलोग्राफिक फील्डआत्मा के पहलुओं के इस पूरे जागरण का मुख्य कारण होलोग्राफिक या मॉर्फिक क्षेत्र है।जब कुछ दशक पहले काइन्सियोलॉजी की पहली बार खोज की गई थी, तो यह वास्तव में आध्यात्मिक और ऊर्जा उपचार क्षेत्रों में हम में से उन लोगों के लिए विकास वृद्धि थी, क्योंकि यह पहली वैज्ञानिक रूप से प्रतिकृति ऊर्जा उपचार तकनीक और पद्धति थी। इसका मतलब यह था कि इसने मुख्य रूप से खेल विज्ञान चिकित्सा के माध्यम से मुख्यधारा की जागरूकता और प्रभाव प्राप्त किया।1994 में, सर डेविड हॉकिन्स ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक, पावर बनाम फोर्स का विमोचन किया। उच्च चेतना के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पुस्तक ने 20 साल के अध्ययन को काइन्सियोलॉजी में समाहित किया और उस समय के निष्कर्षों को उजागर किया। प्रमुख प्रतिकृति और वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त निष्कर्षों में से एक रूपात्मक या होलोग्राफिक क्षेत्र का अस्तित्व था।हालांकि इन विचारों पर चर्चा करने वाले सर डेविड अकेले व्यक्ति नहीं थे: एर्विन लास्ज़लो ने क्वांटम चेतना और आकाशीय क्षेत्र के बारे में लिखा, बारबरा हबर्ड ने कॉन्शियस इवोल्यूशन के बारे में लिखा, और एंड्रयू कोहेन ने इवोल्यूशनरी एनलाइटनमेंट के बारे में लिखा। वे सभी समान अवधारणाएं साझा करते हैं: कि मानवता हमारी चेतना के स्तर को बढ़ाने में सक्षम है और हमारी प्रगति पर हमारा सीधा प्रभाव है।संक्षेप में, मॉर्फिक क्षेत्र सभी ज्ञान के इंटरनेट की तरह है, और हमारे दिमाग ऐसे उपकरणों की तरह हैं जो इस क्षेत्र में प्लग इन कर सकते हैं और ऊर्जा और जानकारी निकाल सकते हैं। हमारे अंदर जो भी ऊर्जा और जानकारी है, वह भी इस क्षेत्र में फ़िल्टर हो जाती है, और इस तरह हम अपनी ऊर्जा के माध्यम से अपने चारों ओर की दुनिया का निर्माण करते हैं - यह सिर्फ रूपात्मक क्षेत्र में प्रवाहित होती है।आपने इस क्षेत्र का प्रत्यक्ष अनुभव किया है यदि आप किसी ऐसे स्थान पर चले गए हैं जिसने आपके मूड को तुरंत बदल दिया है: आपकी ऊर्जा उस वातावरण की रूपात्मक प्रतिध्वनि से अभिभूत थी, जिसमें आपने कदम रखा था, और आपने पर्यावरण के मिजाज को ग्रहण किया था। जैसे डोरोथी ओज़ में पहुँचे, अचानक सब कुछ रंग ले गया।जैसे ही आप अपने अंदर की जानकारी और ऊर्जा की प्रत्येक परत को साफ करते हैं, आप अपने सिस्टम के कंपन को उस स्तर तक बढ़ा देते हैं जहां अधिक उन्नत आत्मा पहलू एक सचेत स्तर पर आपके साथ काम करना और संलग्न करना शुरू कर सकते हैं।जैसे-जैसे इन उच्च पहलुओं में से प्रत्येक जागता है, आप मॉर्फिक क्षेत्र से पहले की तुलना में ज्ञान की एक विस्तृत श्रृंखला का अनुभव करते हैं। यही कारण है कि शिफ्ट, रिलीज और चंगा करने के बाद आप अधिक स्मार्ट महसूस करते हैं - आपके लिए उपलब्ध जानकारी की मात्रा सचमुच बढ़ गई है। आप होशियार हैं और आप और भी देखते हैं।क्या आप अभी भी हमारे साथ हैं? यह वह जगह है जहाँ यह मुश्किल हो जाता है …कुंभ का युग मॉर्फिक क्षेत्र में उपलब्ध जानकारी की मात्रा का विस्तार कर रहा है, इसलिए कुछ आत्मा पहलू जो अब आपके अंदर जाग रहे हैं, वास्तव में आपको पहली बार पृथ्वी पर कुछ जानकारी के बारे में सोचने की अनुमति दे रहे हैं।यही कारण है कि इतने सारे विचार जो आपके पास हाल ही में आ रहे हैं, इतने असामान्य और नए हैं - वे सचमुच पहली बार पृथ्वी पर सोचे जा रहे हैं।जब कुछ दशक पहले काइन्सियोलॉजी की पहली बार खोज की गई थी, तो यह वास्तव में आध्यात्मिक और ऊर्जा उपचार क्षेत्रों में हम में से उन लोगों के लिए विकास वृद्धि थी, क्योंकि यह पहली वैज्ञानिक रूप से प्रतिकृति ऊर्जा उपचार तकनीक और पद्धति थी। इसका मतलब यह था कि इसने मुख्य रूप से खेल विज्ञान चिकित्सा के माध्यम से मुख्यधारा की जागरूकता और प्रभाव प्राप्त किया।1994 में, सर डेविड हॉकिन्स ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक, पावर बनाम फोर्स का विमोचन किया। उच्च चेतना के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पुस्तक ने 20 साल के अध्ययन को काइन्सियोलॉजी में समाहित किया और उस समय के निष्कर्षों को उजागर किया। प्रमुख प्रतिकृति और वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त निष्कर्षों में से एक रूपात्मक या होलोग्राफिक क्षेत्र का अस्तित्व था।हालांकि इन विचारों पर चर्चा करने वाले सर डेविड अकेले व्यक्ति नहीं थे: एर्विन लास्ज़लो ने क्वांटम चेतना और आकाशीय क्षेत्र के बारे में लिखा, बारबरा हबर्ड ने कॉन्शियस इवोल्यूशन के बारे में लिखा, और एंड्रयू कोहेन ने इवोल्यूशनरी एनलाइटनमेंट के बारे में लिखा। वे सभी समान अवधारणाएं साझा करते हैं: कि मानवता हमारी चेतना के स्तर को बढ़ाने में सक्षम है और हमारी प्रगति पर हमारा सीधा प्रभाव है।कुंभ का युग मॉर्फिक क्षेत्र में उपलब्ध जानकारी की मात्रा का विस्तार कर रहा है, इसलिए कुछ आत्मा पहलू जो अब आपके अंदर जाग रहे हैं, वास्तव में आपको पहली बार पृथ्वी पर कुछ जानकारी के बारे में सोचने की अनुमति दे रहे हैं।यही कारण है कि इतने सारे विचार जो आपके पास हाल ही में आ रहे हैं, इतने असामान्य और नए हैं - वे सचमुच पहली बार पृथ्वी पर सोचे जा रहे हैं।यदि यह उस स्तर पर होता है जिसे आप देख सकते हैं, तो यह एक सुबह जागने जैसा होगा यह पता लगाने के लिए कि प्रत्येक मौजूदा रंग में पांच नए रंग और पंद्रह नए रंग या विविधताएं हैं। इस तरह से पृथ्वी पर सूचना की समझ के सभी पैमानों का विस्तार हो रहा है।अधिक दिन-प्रतिदिन के संदर्भ में, जहाँ हमारे पास एक बार शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलू (PEMS) थे, अब हमारे पास ब्रह्मांडीय (PEMSC) भी है। हमने मानव विकास में ऐसी वृद्धि पहले देखी है, जब तात्विक पैमाना पृथ्वी, जल, लकड़ी, धातु और अग्नि (केवल वही जो प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया जा सकता था) से पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि बन गया। वायु ने लकड़ी और धातु की जगह ले ली क्योंकि रूपात्मक क्षेत्र में ज्ञान की वृद्धि ने वायु की अमूर्त अवधारणा को मानव अनुभव में मूर्त रूप देने की अनुमति दी।इसलिए जैसे-जैसे विचार के अग्रदूतों में से प्रत्येक इन नए विचारों के बारे में जागरूक (जागरूकता) हो जाता है, वे इसे मॉर्फिक क्षेत्र में आगे बढ़ाते हैं, जिससे दूसरों के लिए सोचना और भी आसान हो जाता है। समय के साथ, जैसे-जैसे पर्याप्त लोग नई अवधारणाओं को शामिल करते हैं, यह सोच का एक मानक स्तर बन जाता है और पूरा समाज इसे स्वीकार कर सकता है - और उस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए हममें से कुछ सीमित लोगों को ही लगता है।काइन्सियोलॉजी में इस बात की व्याख्या है कि यह कैसे काम करता है: जिन लोगों ने चेतना के उच्च स्तर को हासिल किया है, वे 70 मिलियन लोग हैं जो पैमाने के निचले छोर पर हैं।यदि आप केवल मानव चेतना के पैमाने के बीच में हैं, तो आपके द्वारा डाले गए विचार और ऊर्जा अभी भी सैकड़ों हजारों, या यहां तक ​​कि लाखों लोगों के लिए क्षतिपूर्ति कर रहे हैं। जैसे-जैसे आप पैमाना बढ़ाते हैं यह तेजी से बढ़ता है।यदि आप केवल मानव चेतना के पैमाने के बीच में हैं, तो आपके द्वारा डाले गए विचार और ऊर्जा अभी भी सैकड़ों हजारों, या यहां तक ​​कि लाखों लोगों के लिए क्षतिपूर्ति कर रहे हैं। जैसे-जैसे आप पैमाना बढ़ाते हैं यह तेजी से बढ़ता है।लंबी अवधि में, समग्र रूप से मानवता के लिए इसका क्या अर्थ होगा कि जिस सामान को हम पहले दुर्लभ और पहुंच से बाहर समझते थे, वह मानसिक और सहज क्षमताओं, उपचार, चमत्कार और बहुत कुछ सहित अधिक सामान्य हो जाएगा। इसके शीर्ष पर उन्नत आध्यात्मिक जानकारी का एक नया स्तर होगा, ब्रह्मांडीय या पीईएमएससी ... यही वह है जो हम यहां लाने के लिए हैं: नई सोच जो दुनिया को बदल देगी।हमारे संयुक्त और संचयी व्यक्तिगत विकास के माध्यम से हम सकारात्मक ऊर्जा का एक नेटवर्क और वेब बनाएंगे जो प्रकाश के पक्ष में ग्रह के रूपात्मक क्षेत्र को समायोजित करता है।इसलिए आपकी व्यक्तिगत यात्रा को लाइटवर्कर मिशन से अलग नहीं किया जा सकता है - आपकी आत्मा का विकास लाइटवर्कर मिशन का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह वास्तव में काफी सुंदर है: अपने आप को ठीक करके, आप दुनिया को चंगा करते हैं।बहुत से लोगों के लिए जो किसी अन्य ग्रह या जाति से होने के रूप में दृढ़ता से पहचान करते हैं, आप पाएंगे कि वे उस विमान से अपने साथ कई आत्मा पहलुओं को लेकर आए हैं या अपनी आत्मा के उस पहलू के माध्यम से काम करने की आदत बना चुके हैं।यदि आप अधिक लचीले हैं और इसे प्रवाहित होने देते हैं, तो आप वास्तव में आत्मा पहलुओं की सीमा का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि वे बदलते हैं, जिससे आप वर्तमान में जो एक्सेस कर रहे हैं, उससे उच्च आयामी जानकारी तक पहुंच सकते हैं, जिसमें स्वर्गदूत पहलू और यहां तक ​​​​कि देवता भी शामिल हैं।याद रखें, आपकी आत्मा के पहलुओं को उन ओवरसोल्स से खींचा जाएगा जिनके पास पहले से ही कई पुनरावृत्तियां चल रही हैं: आप उस मुख्य आत्मा की पहचान के विपरीत, जो कि आप वर्तमान में सोचते हैं कि आप हैं, उस ओवरसोल पहलू की पुनरावृत्ति हैं। एक अर्थ में, आप ऊर्जा सातत्य में एक ही क्षण में कई जन्मों को जी रहे होंगे, और प्रत्येक कंपन परिवर्तन आपके पूरे जीवन में प्रतिध्वनित होता है। अब उपचार और कंपन को बढ़ाकर, आप अपने अतीत और भविष्य को भी ठीक कर रहे हैं।जब आप सीखते हैं और बदलाव के माध्यम से समायोजित करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण पहलू आपका व्यक्तिगत सशक्तिकरण है।हमारे पास लगातार यह विकल्प होता है कि हम किस ज्ञान को पचाने या त्यागने के लिए चुनते हैं, और हमारे पास अपनी समझ को बदलने के लिए घटनाओं या बाहरी उत्तेजना की हमारी धारणा को समायोजित करने की क्षमता है। कोई भी श्रेणी जो हम अपने आप पर लागू करते हैं, बस हमें उन क्षमताओं को पहचानने और बढ़ाने में मदद करती हैं जो पहले से ही हमारे अंदर निहित हैं। हम अपने अनुभव के निर्माता हैं।लाइटवर्कर की भूमिकाएँएक लाइटवर्कर को ईसाई होने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में कई लाइटवर्कर कई धर्मों का पता लगाते हैं, पहलुओं को अपने व्यक्तिगत अनुष्ठानों में मिलाते हैं और जो प्रतिध्वनित नहीं होता है उसे त्याग देते हैं।अधिकांश प्रकाशकर्मी धार्मिक से अधिक आध्यात्मिक के रूप में पहचान करते हैं। जबकि यीशु का दृष्टांत एक कहानी प्रदान करता है जिसका कई लोग अनुसरण कर सकते हैं, यहाँ प्रस्तुत अवधारणाएँ किसी भी धर्म के लोगों पर लागू होती हैं।ग्रह पर प्रकाशकर्मियों की भूमिकाओं को समझने के लिए, आपको उन नामों को देखने की जरूरत है जिन्हें हमने यीशु और परमेश्वर को सौंपा है: उद्धारकर्ता या मुक्तिदाता, निर्माता और मसीहा। जैसे ही हम सृजन के इस हेयरपिन मोड़ को मोड़ते हैं, हम उस सूची में एक और उपनाम जोड़ देंगे, एकीकृतकर्ता। आप एक उद्धारकर्ता, निर्माता, मसीहा और एकीकरणकर्ता हो सकते हैं। एक दूसरे को बाहर नहीं करता है, जैसा कि आप नीचे देखेंगे।उद्धारकर्ताओं में से एक के रूप में, आप यह सोचने में सही हैं कि अधिकांश सामान्य लोग मर जाएंगे यदि उन्हें जीवित रहना है जो आपके पास है। यही कारण है कि इतनी हल्की-फुल्की आत्माओं को परिवारों और स्थितियों में भेजा गया था जहाँ अत्यधिक प्रकृति का दुर्व्यवहार और यौन शोषण हुआ था: आपकी सहानुभूति क्षमता आपको इसे अगली पीढ़ी तक बनाए रखने के बिना जीवित रहने की अनुमति देती है।यह उद्धारकर्ता/सहानुभूति मिशन ग्रह ऊर्जा के लिहाज से हमारे द्वारा किए जा रहे सबसे बड़े सफाई कार्यों में से एक है। वैश्विक बदलाव के लिए आपका व्यक्तिगत सामान भी इसी तरह मायने रखता है: जैसे-जैसे प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत कंपन को बढ़ाता है, इससे बाकी सभी के लिए चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचना थोड़ा आसान हो जाता है।एक समानुभूति होने के बारे में और पढ़ें कि एक एम्पाथ होने का क्या अर्थ हैजागरूक सह-निर्माताजागरूक सह-निर्माताओं को समझने के लिए, आपको दो चीजों को समझना होगा: पहला यह कि यह 3D/4D वास्तविकता अलगाव और व्यक्तित्व का उच्चतम बिंदु है जिसे हम स्वयं को जान सकते हैं। संक्षेप में: हम 'ईश्वर की छवि' में हैं क्योंकि यह हमारी अहं पहचान के साथ ईश्वर के 'होने' के सबसे करीब है। हम छोटे छोटे देवता हैं।समझने वाली दूसरी बात यह है कि सृजन की पूरी वापसी अब ऊर्जा के बड़े और बड़े समूहों के साथ एकता में काम करने के बारे में है, क्योंकि हम ऊर्जाओं को एक सामूहिक में: एक या सभी-वह-में फिर से मिलाने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। निर्माता के रूप में हम यहां प्रेम और प्रकाश की नई दुनिया बनाने के लिए हैं ताकि यह ग्रह के रूपात्मक क्षेत्र को बदलकर, पृथ्वी पर स्वर्ग के लिए तैयार हो। हम नई दुनिया के लिए नई ऊर्जा पैदा कर रहे हैं।अभी लोगों के गलत विकल्पों के कारण ग्रह पर इतना अंधेरा है कि हम पृथ्वी पर स्वर्ग की ऊर्जा का समर्थन नहीं कर सकते। बेहतर निर्णय लेने के द्वारा, और इतने सारे पारिवारिक वंशों के दर्द और आघात को कायम न रखकर, हम आने वाली पीढ़ियों और खुद दोनों के लिए पृथ्वी पर जीवन का एक नया अनुभव बना रहे हैं।यूनिफायर और जॉइनर्ससूचना की नई ब्रह्मांडीय परत जो नया शब्द पेश कर रही है वह यूनिफायर या जॉइनर्स है।हम सभी एकजुट और जुड़ने वाले हैं, क्योंकि हम यहां सृजन के हेयरपिन मोड़ को लागू करने के लिए स्रोत या ऑल-दैट-है की यात्रा शुरू करने के लिए हैं। इस बिंदु तक, पूरी सृष्टि ईश्वर ऊर्जा को तोड़ने के बारे में है कि सब कुछ छोटे और छोटे टुकड़ों में बना है।आपके विचार भी उस ऊर्जा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं, क्योंकि आपके विचार भी उसी ईश्वरीय वस्तु से बने हैं। यही कारण है कि जब आप किसी विचार को फिर से जोड़ते हैं, एक जागरूकता रखते हैं या अपने बारे में कुछ स्वीकार करते हैं जिसे आपने पहले अस्वीकार कर दिया था, तो आप संपूर्ण महसूस करते हैं: जिस क्षण आप विचार के मालिक होते हैं, आप सृजन की ऊर्जा के उस टुकड़े को अपने आप में समेट लेते हैं। जब आप किसी भी विचार को अस्वीकार करते हैं तो आप सृष्टि के उस हिस्से को अपने से दूर रखते हैं, और आप उस तत्व की ऊर्जा का उपयोग करने में असमर्थ हैं क्योंकि यह आपसे अलग है।यही बात 'मेरे भाई' के विचारों पर भी लागू होती है; विचार और विचार हम कभी-कभी स्वीकार करने के बारे में परस्पर विरोधी होते हैं। ए कोर्स इन मिरेकल्स के अनुसार, हमें 'अपने भाई और उसकी सभी कृतियों से प्यार करना होगा' ताकि सभी ऊर्जा को छोटे टुकड़ों में वापस ऑल-दैट में वापस कर दिया जा सके।आप इसे पहले से ही किसी स्तर पर जानते हैं, यही कारण है कि जब आप किसी और के विचारों को अस्वीकार करते हैं या किसी भी तरह से व्यक्ति को अस्वीकार करते हैं तो आपको हमेशा बुरा लगता है। यही कारण है कि अस्वीकृति हमारे लिए इतना भारी बोझ है: हम जानते हैं कि स्रोत पर लौटने के लिए हमें हर चीज से प्यार करना होगा।बेशक इस गतिविधि का सबसे कठिन हिस्सा ध्रुवीयता और द्वैत के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है। लगभग हर विश्वास या राय के लिए जो आप धारण कर सकते हैं, हमेशा कोई न कोई ऐसा होता है जिसके विचार परस्पर विरोधी होते हैं। हम आम मान्यताओं वाले लोगों में सांत्वना पाते हैं; हम उन लोगों के साथ बहस करते हैं जो अलग तरह से सोचते हैं। ध्यान रखें कि कुछ बहसें कभी हल नहीं हो सकतीं।वास्तव में, यह महत्वपूर्ण है कि उन बिंदुओं को हमेशा हल नहीं किया जाता है, क्योंकि वे आपको एक बहुत ही उपयोगी उपकरण प्रदान करते हैं जो आपको नई अमूर्त जानकारी-कॉन्ट्रास्ट की अवधारणा करने में सक्षम बनाता है।अक्सर हम वही देख सकते हैं जो हम चाहते हैं क्योंकि हम पहले वही देखते हैं जो हम नहीं चाहते हैं। इसके विपरीत के इस उपहार के बिना, हमारे लिए उन अवधारणाओं के बारे में जागरूकता की छलांग लगाना असीम रूप से अधिक कठिन होगा जिन्हें हम पहले नहीं जानते थे।चमत्कारों में एक पाठ्यक्रम के अनुसार:"कई भाषाओं में बोलने" की अवधारणा मूल रूप से सभी को अपनी भाषा, या अपने स्तर पर संवाद करने के लिए एक निषेधाज्ञा थी। इसका मतलब शायद ही इस तरह से बोलना था कि कोई समझ न सके। यह अजीब त्रुटि तब होती है जब लोग सार्वभौमिक संचार की आवश्यकता को समझते हैं, लेकिन इसे कब्जे की भ्रांतियों से दूषित कर देते हैं। इस गलत धारणा से उत्पन्न भय एक परस्पर विरोधी स्थिति की ओर ले जाता है जिसमें संचार IS का प्रयास किया जाता है, लेकिन संचार को समझ से बाहर होने से भय दूर हो जाता है। यह भी कहा जा सकता है कि भय ने स्वार्थ, या प्रतिगमन को प्रेरित किया, क्योंकि समझ से बाहर संचार शायद ही भगवान के एक पुत्र से दूसरे को एक योग्य भेंट है।इसलिए जब आप अन्यभाषा में बोल रहे हैं, तो आप जो कर रहे हैं वह पवित्र आत्मा, स्रोत या आपके मार्गदर्शकों को आपके माध्यम से आपके सामने वाले व्यक्ति से बात करने की अनुमति दे रहा है, इस तरह से कि प्राप्तकर्ता समझ जाएगा और अधिकतम तक उस तक पहुंच जाएगा प्रभाव।जिस दुनिया में हम रहते हैं, उतनी ही विविध दुनिया में, हमें उन सभी अलग-अलग तरीकों को प्रबंधित करने में सक्षम होने के लिए बहुत से लोगों की आवश्यकता होगी, जिन तक लोगों तक पहुंचने की आवश्यकता है: इसलिए हम एक मसीहा सामूहिक हैं।मसीहा की भूमिका एक संदेश को न केवल व्यक्तिगत रूप से फैलाना है, बल्कि इसे रूपात्मक क्षेत्र में पहुंचाना भी है। जैसा कि आप में से जो मसीहाई होने से संबंधित हैं, वे जानते होंगे, यह एक मौखिक संदेश बन जाता है जब आप इसके बारे में अपना मुंह बंद नहीं रख सकते।ट्विन फ्लेम मिशनट्विन फ्लेम मिशन एक और वास्तव में दिलचस्प सफाई मिशन है जो हो रहा है।इसे समझने के लिए, यह समझने में मदद करता है कि वास्तव में जुड़वां लपटें और आत्मा साथी क्या हैं: एक आत्मा साथी एक समान भूगोल में एक ही समय में आपके पास बनाई गई एक आत्मा की पहचान है, जबकि एक जुड़वां लौ एक आत्मा है जो समान जुड़वां में विभाजित हो गई है .इन समान जुड़वां आत्माओं में एक यिन यांग की तरह ध्रुवीयताएं होती हैं: काला, सफेद; पुरुष महिला; परावर्तक, प्रतिबिंबित, और जब वे जीवन भर में एक साथ आते हैं और उन ध्रुवों में से एक को समेटते हैं, तो वे ब्रह्मांड में सबसे बड़ी रचनात्मक शक्तियों में से एक को छोड़ते हैं (शून्य बिंदु ऊर्जा) - क्योंकि जुड़वां लपटें सृष्टि के मूल कार्य की पुनरावृत्ति हैं।ट्विन फ्लेम्स और सोलमेट्स में सोलमेट्स और ट्विन फ्लेम्स के बारे में और पढ़ें : क्या अंतर है?इस ग्रह पर जुड़वां लपटों को इसलिए चुना गया है क्योंकि उनके पास बड़े पैमाने पर कर्म हैं - कर्म शून्य बिंदु फटने के साथ मिलकर ऊर्जा की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है। समय के साथ संचयी रूप से ग्रह पर ऊर्जावान असंतुलन को बहाल करने के लिए यह बिल्कुल तटस्थ ऊर्जा फटने में जारी की जा रही है।70% लाइटवर्कर्स ट्विन लपटें हैं और बैकअप हैं। आपके पास न केवल एक जुड़वां लौ है जिसे आप जोड़ सकते हैं - सफाई बहुत महत्वपूर्ण है। तो अगर आपकी लौ खत्म हो गई है, तो कमर कस लें: अगला आने वाला है।जुड़वां लपटें हमेशा रोमांटिक रिश्ते नहीं होते हैं, और दोस्त और परिवार के सदस्य भी हो सकते हैं। हमारे पूरे जीवन में आत्माएं यौन मिलन के अलावा अन्य तरीकों से समर्थन, प्रेम और विकास में तेजी लाने के लिए एक साथ आती हैं, और कभी-कभी आत्माएं एक साथ विरोध करने और परिवर्तन का कारण बनाने के लिए आती हैं। आत्मिक अनुबंध आजीवन या संक्षिप्त मुलाकातें हो सकती हैं, और लोग एक-दूसरे पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं, भले ही वे केवल एक बार मिलते हों।हमारे निजी जीवन मेंअपने निजी जीवन में हम उन प्रमुख ऊर्जाओं के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं जिनसे दुनिया को बदलाव के लिए सामंजस्य बिठाने की जरूरत है।उन ऊर्जाओं में लगाव, शक्ति, नियंत्रण, बल, गोपनीयता, ईमानदारी, अकेलापन, स्वतंत्र इच्छा, सहमति, समानता, असमानता, असंतुलन, संतुलन, नश्वरता और अमरता शामिल हैं।आप अपने जीवन के इन क्षेत्रों में अभी जो भी निर्णय लेते हैं, वह मॉर्फिक क्षेत्र में वैश्विक ऊर्जा में योगदान दे रहा है, और इसी तरह हम नई विश्व व्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं। आप अपने जीवन में जो भी समस्या हल कर रहे हैं, वह सृष्टि की कहानी का एक छोटा सा पुनरावर्तन, या ऊर्जा का टुकड़ा है, जो ग्रह को वापस प्रकाश की ओर मोड़ने में मदद करता है।रिकर्सन के प्रभाव के बारे में अधिक समझने के लिए और वे कहां से आते हैं, लाइटवर्कर्स के लिए क्रिएशन स्टोरी पढ़ें।यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप व्यक्तिगत निर्णय ले रहे हैं जो उस तरह की दुनिया का निर्माण करते हैं जिसमें आप आगे बढ़ना चाहते हैं, क्योंकि यह वह ऊर्जा है जो हम अपने अंदर पैदा कर रहे हैं जो हमारे भविष्य को आकार दे रही है। लाइटवर्क भीतर शुरू होता है।लाइटवर्कर होने के बारे में और पढ़ें लाइटवर्कर क्या है?लाइटवर्कर विजन, मिशन और उद्देश्यहमारी दृष्टि वह है जिसे हम अंत में बनाना चाहते हैं, हमारा मिशन यह है कि हम दृष्टि बनाने के बारे में कैसे जाते हैं, और हमारा उद्देश्य दिन-प्रतिदिन की चीजें हैं जो हम अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए करते हैं।हमारा लक्ष्य धरती पर स्वर्ग बनाना है। चूंकि हर किसी का एक अलग विचार होता है कि स्वर्ग क्या दर्शाता है, हम एक ऐसी दुनिया बनाने के अपने प्रयासों को जोड़ते हैं जहां सभी को सीखने, बढ़ने, अनुभव करने और प्यार और आनंद महसूस करने की स्वतंत्रता हो। एक ऐसी दुनिया जहां हर आत्मा के पास ऐसे निर्णय लेने की स्वतंत्र इच्छा है जो उनके विकास के लिए सबसे अच्छा हो, और वे सामूहिक रूप से योगदान करने के लिए यहां क्या हैं।हमारा मिशन ग्रह और उसके लोगों को प्रकाश और प्रेम में लौटाकर ईश्वर की वापसी की सुविधा प्रदान करना है। भगवान ने नहीं छोड़ा है, हम सिर्फ उसकी उपेक्षा कर रहे हैं: जब हम उच्च शक्तियों से जुड़ते हैं, तो हम अपने आस-पास की बड़ी जीवन शक्ति से भी जुड़ते हैं। जैसे-जैसे हम बढ़ते हैं हम चमकते हैं।हमारा उद्देश्य अपनी ऊर्जाओं में सुधार करके अहंकार की पहचान और अंधेरे बलों को दूर करना है जब तक कि हम ग्रह के चारों ओर प्रेम और प्रकाश का एक अभेद्य ग्रिड नहीं बनाते। यह परमेश्वर को वापस लौटने और पृथ्वी पर स्वर्ग बनाने में सक्षम करेगा।यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि ईश्वर एक अलग इकाई नहीं है जो चला गया है और वापस आ सकता है। इसके बजाय, ईश्वर हम में से प्रत्येक के भीतर जीवन शक्ति का त्वरण है। समुद्र में बूंदों की तरह, हम सभी भगवान के अंश हैं, और अंत में, स्वर्ग बनाने की जिम्मेदारी हम पर है।हम वे हैं जो भौतिक दुनिया में रचनात्मक विकल्प चुन सकते हैं।अगर हम इसे बदलने के लिए किसी बड़ी ताकत की प्रतीक्षा करते हैं, तो हमारी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकती हैं। अपनी शक्ति के साथ आगे बढ़ें, अपनी चमक बढ़ाएं, दूसरों को उनकी चमक बढ़ाने में मदद करें और अपने उच्चतम संभव कंपन में रहकर पृथ्वी पर स्वर्ग बनाएं।लाइटवर्कर की कॉलजिस दुनिया में हम रहते हैं, अपनी सभी अधूरी इच्छाओं के साथ, अक्सर ऐसा लगता है कि हमें बताया जा रहा है कि बहुत से लोग बुलाए जाते हैं, लेकिन कुछ चुने जाते हैं।चमत्कारों में एक पाठ्यक्रम के अनुसार:समझदार धारणा समझदार चयन को प्रेरित करती है। मैं आपके लिए चयन नहीं कर सकता, लेकिन मैं आपको अपना सही चुनाव करने में मदद कर सकता हूं। "कई बुलाए जाते हैं लेकिन कुछ चुने जाते हैं" होना चाहिए, "सभी बुलाए जाते हैं लेकिन कुछ सुनना चुनते हैं।" इसलिए, वे सही नहीं चुनते हैं। "चुने हुए" केवल वे हैं जो जल्द ही सही चुनते हैं। सही दिमाग अब ऐसा कर सकता है, और वे अपनी आत्मा को आराम पाएंगे। ईश्वर आपको शांति से ही जानता है, और यह आपकी वास्तविकता है।हमारा उद्देश्य अपनी ऊर्जाओं में सुधार करके अहंकार की पहचान और अंधेरे बलों को दूर करना है जब तक कि हम ग्रह के चारों ओर प्रेम और प्रकाश का एक अभेद्य ग्रिड नहीं बनाते। यह परमेश्वर को वापस लौटने और पृथ्वी पर स्वर्ग बनाने में सक्षम करेगा।यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि ईश्वर एक अलग इकाई नहीं है जो चला गया है और वापस आ सकता है। इसके बजाय, ईश्वर हम में से प्रत्येक के भीतर जीवन शक्ति का त्वरण है। समुद्र में बूंदों की तरह, हम सभी भगवान के अंश हैं, और अंत में, स्वर्ग बनाने की जिम्मेदारी हम पर है।हम वे हैं जो भौतिक दुनिया में रचनात्मक विकल्प चुन सकते हैं।अगर हम इसे बदलने के लिए किसी बड़ी ताकत की प्रतीक्षा करते हैं, तो हमारी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकती हैं। अपनी शक्ति के साथ आगे बढ़ें, अपनी चमक बढ़ाएं, दूसरों को उनकी चमक बढ़ाने में मदद करें और अपने उच्चतम संभव कंपन में रहकर पृथ्वी पर स्वर्ग बनाएं।लाइटवर्कर की कॉलजिस दुनिया में हम रहते हैं, अपनी सभी अधूरी इच्छाओं के साथ, अक्सर ऐसा लगता है कि हमें बताया जा रहा है कि बहुत से लोग बुलाए जाते हैं, लेकिन कुछ चुने जाते हैं।चमत्कारों में एक पाठ्यक्रम के अनुसार:समझदार धारणा समझदार चयन को प्रेरित करती है। मैं आपके लिए चयन नहीं कर सकता, लेकिन मैं आपको अपना सही चुनाव करने में मदद कर सकता हूं। "कई बुलाए जाते हैं लेकिन कुछ चुने जाते हैं" होना चाहिए, "सभी बुलाए जाते हैं लेकिन कुछ सुनना चुनते हैं।" इसलिए, वे सही नहीं चुनते हैं। "चुने हुए" केवल वे हैं जो जल्द ही सही चुनते हैं। सही दिमाग अब ऐसा कर सकता है, और वे अपनी आत्मा को आराम पाएंगे। ईश्वर आपको शांति से ही जानता है, और यह आपकी वास्तविकता है।हमेशा की तरह, ब्रह्मांड ने इस लाइटवर्कर मिशन में हर घटना के लिए यह सुनिश्चित किया कि हम में से कई को यहां पहले स्थान पर भेजा गया था। हमारे पूरे जीवन में, हम सभी को बुलाया गया है; हम में से कुछ ने दूसरों की तुलना में जल्द ही कॉल का जवाब देना चुना।लाइटवर्कर के रूप में आप अब कहां हैं, यह आपके द्वारा अतीत में किए गए विकल्पों का परिणाम है - अब से कुछ वर्षों में आप कहां होंगे, यह आपके द्वारा अभी किए गए विकल्पों पर निर्भर करता है।आपको एक लाइटवर्कर के रूप में कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है सिवाय इसके कि आप सबसे अच्छी आत्मा हो, सबसे अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं, और अपने आस-पास के लोगों के साथ प्यार और सम्मान के साथ व्यवहार करें। हालाँकि आप देख सकते हैं कि आपके आस-पास की दुनिया में कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जो आपको परेशान कर रहे हैं - ये वे चीजें हैं जिनके बारे में आपको सोचने, बात करने और सक्रिय होने की आवश्यकता है जब आप प्रोत्साहन महसूस करते हैं। और याद रखें, परिवर्तन की सीमा केवल आपके फोकस द्वारा सीमित है।मोर्चोंमुख्य लाइटवर्कर मोर्चों वास्तव में मुद्दों के बारे में हैं कि कैसे हमारे निर्माण का हिस्सा बनाया गया था: बल, नियंत्रण, गैर-सहमति, असमानता और असंतुलन की ऊर्जा के तहत।लाइटवर्कर्स के लिए इतने महत्वपूर्ण मोर्चे वे हैं जहां ये ऊर्जाएं काम करती हैं:- लिंग, जाति, सामाजिक वर्गों, धर्मों के साथ असमानता- लालच के साथ संसाधनों का असंतुलन और 99%, गरीबी, कर्ज, अर्थव्यवस्था- भांग और भांग जैसे संसाधनों को रोकना उदाहरण के लिए अवैध बनाया जा रहा है, या एक सीमा मुक्त दुनिया ताकि लोग स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकें- बल और गैर-सहमति - बलात्कार और सत्ता के दुरुपयोग के मुद्दे, राजनीति- नियंत्रण - दासता और मानव तस्करी, बड़े पैमाने पर सम्मोहन और टीवी के माध्यम से आम जनता की गुलामी और अस्तित्व के मुद्दे, जानवरों और जानवरों के अधिकार- व्यक्तिगत विकास में बाधा डालने वाले मुद्दों के साथ सहायता, प्रत्येक व्यक्ति को सशक्तिकरण और आत्म-सम्मान प्रदान करना- एक ऐसे समाज से बदलाव जो निरंतर विकास और उत्पादन को प्रोत्साहित करता है (इस दर्शन के नकारात्मक प्रभाव के बावजूद) और इसके बजाय हमारे ग्रह पर जीवन का एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है ---------------------------------------------------------------------- --------यह लेख इनके बीच एक सहयोग है:बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमआप फिजियो थेरेपी पंजाब ब्लॉग के साथ-साथ स्पिरिट साइंस और कलेक्टिव। वनिता कासनियां ,पंजाब का अनुसरण कर सकते हैं ग्लेन स्टीवर्ट स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे के लिए नियमित रूप से लिखते हैं और शिफ्टिंग वाइब्रेशन में इसका अनुसरण किया जा सकता हैकॉमेंट, सैर और आशीर्वाद !!! ~ वनिता कासनियां पंजाब ~अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने में संकोच न करें। आखिरकार, साझा करना देखभाल कर रहा है!

ध्यान स्टारसीड्स: पृथ्वी पर अपने मिशन और भूमिकाओं को समझना वनिता कासनियां पंजाब लाइटवर्कर होने का क्या अर्थ है, लाइटवर्कर मिशन क्या है और लाइटवर्कर के रूप में आपकी भूमिका में आपसे क्या करने की अपेक्षा की जाती है? एक पारी हो रही है।  मानवता बदल रही है।  दुनिया भर में लोग महसूस कर रहे हैं कि पिछले प्रतिमान काम नहीं कर रहे हैं और जीवित रहने के लिए हमें अपने जीने के तरीके को बदलना होगा। इस समय के दौरान, कई लोग खुद को लाइटवर्कर्स के रूप में पहचानते हैं और मानते हैं कि वे यहां दुनिया को बदलने में मदद करने के मिशन पर हैं।  सरल शब्दों में, एक लाइटवर्कर वह व्यक्ति होता है जो स्वयं और दूसरों के कंपन को बढ़ाकर दुनिया को बदलने का विकल्प चुनता है।  उच्च कंपन के कई रास्ते हैं और वे सभी व्यवहार्य हैं: यह इस बात का विवरण नहीं है कि आप वहां कैसे पहुंचते हैं, बल्कि इसका परिणाम सबसे महत्वपूर्ण है। इस लेख के बारे में समझने के लिए एक महत्वपूर्ण बात यह है कि, किसी भी दृष्टांत की तरह, यह आपको मिशन को समझने में मदद करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है और आप परिचित भाषा और चित्र...